tag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post1354477542337230605..comments2023-09-10T04:47:52.686-07:00Comments on सुनील मिश्र Sunil Mishr: गुड़िया : बिटिया की नन्हीं सखीसुनील मिश्रhttp://www.blogger.com/profile/18400296685628577069noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-54886542632549985482017-03-27T22:12:48.647-07:002017-03-27T22:12:48.647-07:00सटीक लेखनशैली तथा अनुपम वर्णन ।। आपका बहुत-बहुत धन...सटीक लेखनशैली तथा अनुपम वर्णन ।। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो की आपने बचपन की महक फिर से महकादी।।।।।।।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00458697566352081262noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-55109184205449281642012-02-05T09:42:02.095-08:002012-02-05T09:42:02.095-08:00जेन्नी जी, बहुत खुशी हुई की आपने यह विस्तृत लेख पढ़...जेन्नी जी, बहुत खुशी हुई की आपने यह विस्तृत लेख पढ़ा और पसंद किया। भोपाल के लोकरंग आयोजन में गुड़िया पर केंद्रित प्रदर्शनी को बहुत सराहा गया। आपका आभारी हूँ, पसंद करने के लिए, इस बात पर भी अच्छा लगा कि इस टिप्पणी ने आपको पीछे मधुर स्मृतियों में भेजा..............सुनील मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/18400296685628577069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-75824812748741628182012-02-04T09:30:26.223-08:002012-02-04T09:30:26.223-08:00यूँ तो वक़्त के साथ बचपन की यादें धूमिल हो जाती है...यूँ तो वक़्त के साथ बचपन की यादें धूमिल हो जाती हैं, लेकिन आपके इस लेख ने उन यादों को जीवित कर दिया. तब न तो टेडी बिअर का ज़माना था न बार्बी डॉल का. घर में ही कपड़े या ऊन से गुड़िया बनती थी. गुड़िया के लिए अलग से वह सब कुछ चाहिए जैसे ख़ुद के लिए ज़रूरी था. कॉलेज के दिनों में बाकायदा मैंने गुड़िया बनाना सीखा, निशानी के तौर पर दो गुड़िया अब भी मेरे पास है, जिसे मैंने ख़ुद बनाया था. दो अपूर्ण गुड्डे गुड़िया भी मेरे पास है जिसे बनाने का वक़्त फिर कभी न मिला. न जाने कितनी यादें ताज़ा हो गई. सुन्दर लेखन के लिए बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-11414600063195286452012-02-01T01:15:51.670-08:002012-02-01T01:15:51.670-08:00हार्दिक आभार प्रिंस गुप्ता जी।हार्दिक आभार प्रिंस गुप्ता जी।सुनील मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/18400296685628577069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-4003839056665496102012-02-01T01:14:55.884-08:002012-02-01T01:14:55.884-08:00आपका आभारी हूँ, बेनामी जी। एक अच्छी परिकल्पना खूबस...आपका आभारी हूँ, बेनामी जी। एक अच्छी परिकल्पना खूबसूरती के साथ सार्थक हुई। आपको आलेख पसंद आया, अच्छा लगा।सुनील मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/18400296685628577069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-51675588884793983492012-01-31T07:27:29.598-08:002012-01-31T07:27:29.598-08:00अति सुन्दर अभिव्यक्ति आपने बच्पन की स्म्रतियो को श...अति सुन्दर अभिव्यक्ति आपने बच्पन की स्म्रतियो को शब्दो के जरिये सजीव कर दिया !फेस बुक पर गुडियाओ पर आधरित मेरा अल्बम जरूर देखेप्रिंस गुप्ताnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3223761135518877764.post-78409394797712427942012-01-31T07:22:05.890-08:002012-01-31T07:22:05.890-08:00अति सुन्दर अभिव्यक्ति आपने बच्पन की स्म्रतियो को श...अति सुन्दर अभिव्यक्ति आपने बच्पन की स्म्रतियो को शब्दो के जरिये सजीव कर दिया !Anonymousnoreply@blogger.com