बुधवार, 4 मई 2011

विषमताओं से जूझने की सहजता


मनुष्य अनुकूलताओं का अपने जीवन में इतना आदी हो जाता है कि उसे प्रतिकूलताएँ असहज बना देती हैं। ऊपर वाले की व्यवस्था ऐसी है कि वो यथासम्भव हर इन्सान को यथासम्भव अनुकूलताओं में रखता है। इससे परे की स्थितियाँ क्षणिक या तात्कालिक होती हैं। स्थितियाँ ऐसी होती हैं कि उसका निदान भी सुझा दिया जाता है। ताला यदि बन्द मिलता है तो उसकी चाबी ढूँढऩे से मिल जाये, ऐसी व्यवस्था होती है। कठिनाइयों का भी ऐसा ही है, यदि अपवाद को छोड़ दिया जाये। कहीं-कहीं कठिनाइयाँ और प्रतिकूलताएँ जीवन का स्थायी भाव भी हो जाया करती हैं लेकिन यह मनुष्य ही है जो उससे लगातार लड़ता है, अपना संघर्ष जारी रखता है। उसकी जिजीविषा इसी बात से प्रमाणित भी होती है।

जूझना, जीतने का आत्मविश्वास है। इस तरह की झलकियाँ, छोटे-छोटे अच्छे और मनभावन दृष्टान्त हमें इन दिनों छोटे परदे पर सब चैनल में प्राय: देखने को मिलते हैं। यह एक ऐसा चैनल है जो लम्बे समय से तमाम दूसरे रसूख वाले, साधन सम्पन्न चैनलों से जूझ रहा है, उनके साथ चलने, उनके बराबर खड़ा होने के लिए। यह काम उसके लिए आसान नहीं था। इस चैनल के मालिक अधिकारी ब्रदर्स ने अपने कैरियर की शुरूआत फिल्म निर्माण से की थी। पाँच-सात फिल्में बनाकर उन्होंने इस रास्ते को छोडऩा उचित समझा क्योंकि उनको इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली। उसी बीच चैनलों का खुलना शुरू हुआ। अधिकारी ब्रदर्स ने अपना चैनल बहुत बाद में खोला मगर उसकी शुरूआत से ही वे स्वस्थ और आदर्श मनोरंजन का ऐसा मापदण्ड लेकर चले कि सही रास्ते पर कदम बढ़ाने के बावजूद सफलता यहाँ भी खासी दूर रही।

इस बात की प्रशंसा की जानी होगी कि तमाम विपरीत परिस्थितियों, नुकसान, घाटे और हानियों के बावजूद इस चैनल ने अपनी लीक को नहीं छोड़ा। इधर कुछ समय से हम देख रहे हैं कि सब चैनल खूब लोकप्रिय हो गया है। एक तरफ दूसरे चैनल, दूसरे घराने और उससे जुड़े कलाकारों की एकरसता, उबाऊपन से दर्शक आजिज आ गया है, वहीं सब चैनल को देखना बहुत सारे घरों की आदत बन गया है। यह कमाल किया है, चैनल के सीरियल लापतागंज ने। शरद जोशी की रचनाओं और प्रेरणाओं से बना यह धारावाहिक श्रेष्ठ है वहीं तारक मेहता का उल्टा चश्मा, मिसेज तेन्दुलकर आदि धारावाहिकों का भी बड़ा दर्शक वर्ग है। इन धारावाहिकों के कथानक में हमें अपना जीवन दिखता है, अपने संघर्ष, अपने सुख-दुख और खुशियाँ। ये धारावाहिक हमें स्वयं को उनके बीच होने के अहसास से जोड़े रखते हैं। विषमताओं से जूझने की सहजता अनूठी है, इन प्रस्तुतियों में।

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