गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

बयान से बयाँ होते रिश्ते


शत्रुघ्र सिन्हा, भोजपुरी भाषा के एक चैनल में शीघ्र प्रसारित होने वाले कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति के प्रस्तुतकर्ता यानी होस्ट होने को तैयार हो गये हैं। उनसे कुछ लोगों ने पूछा कि उनका कौन बनेगा करोड़पति, किस तरह अमिताभ बच्चन के प्रभाव से मुक्त रहेगा तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह धारावाहिक पूरी तरह अमिताभ की छाया या प्रभाव से मुक्त होगा। शत्रुघ्र सिन्हा भूलकर भी यह नहीं चाहते कि उनके काम पर अमिताभ बच्चन की छाया या प्रभाव की बात उनसे कोई करे।

यह आन्तरिक विभेद आज का नहीं बल्कि बड़े पुराने जमाने का है जब दोनों नायक के रूप में अपनी-अपनी पारी खेल रहे थे। अमिताभ बच्चन फिल्मों में नये-नये आये थे। ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिन्दुस्तानी और सुनील दत्त की फिल्म रेश्मा और शेरा में उनको जिस तरह की भूमिकाएँ बड़े प्रयत्नों से मिलीं थीं, उससे कुछ बनने वाला नहीं था। इधर शत्रुघ्र सिन्हा पुणे फिल्म इन्स्टीट्यूट से डिप्लोमा करके पूरी ठसक के साथ फिल्मों के लिए भाग्य आजमा रहे थे। उनको नकारात्मक भूमिकाएँ मिल रही थीं मगर उसका भी अपना प्रभाव था। जब अमिताभ बच्चन जंजीर और दीवार से हिट हो गये तब तक शत्रुघ्र सिन्हा भी खलनायक की भूमिकाओं से ऊब कर नायक बनने के प्रयास में लगे। कालीचरण जैसी फिल्म से उनको खासा फायदा हुआ।

सफलता के दिनों में अमिताभ बच्चन पर अपने साथी कलाकारों की भूमिकाओंं को प्रभावित करने के कथित आरोप भी लगा करते थे। उस समय अमिताभ बच्चन के साथ धर्मेन्द्र, विनोद खन्ना, शत्रुघ्र सिन्हा, विनोद मेहरा, शशि कपूर आदि कलाकार एक साथ कई फिल्मों में काम किया करते थे। आरोपों के इर्दगिर्द यह भी देखने में आया कि शशि कपूर को छोडक़र लगभग सभी अभिनेता, अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के अनिच्छुक रहने लगे। शत्रुघ्र सिन्हा उन दिनों अकेले ऐसे कलाकार थे जो उनके साथ टक्कर की भूमिकाएँ ही स्वीकार करते थे। निर्देशक भी इस बात का ख्याल रखते थे कि शत्रुघ्र, बच्चन के सामने किसी भी तरह कमजोर न पड़ें।

दोस्ताना, नसीब, काला पत्थर, शान आदि फिल्में इस बात की गवाह हैं कि शत्रु, दृश्यों, भूमिकाओं और संवादों में अमिताभ से उन्नीसे नहीं पड़े। पत्र-पत्रिकाओं में भी दोनों के रिश्तों को लेकर बराबर ऐसा लिखा गया है जिससे जाहिर होता रहा कि दोनों में रिश्ते कम से कम दोस्ताना नहीं हैं, एक-दूसरे के कद्रदाँ होने वाले बयानों की औपचारिकताओं को यदि छोड़ दें तो बात और है। यह शत्रुघ्र सिन्हा में ही दमखम है कि वे अभिषेक की शादी में निमंत्रित न किए जाने के बाद बच्चन साहब के घर से आने वाली मिठाई स्वीकार न करें। ऐसे पूर्व-पाश्र्व के बाद निश्वित ही शत्रुघ्र सिन्हा, भोजपुरी में कौन बनेगा करोड़पति को लेकर पूरे सावधान रहेंगे और सजग भी, इसका विश्वास निरर्थक नहीं है।

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