शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

कैसेट युग की समाप्ति

हम अपने ही समय में दौर को धीरे-धीरे विस्मृतियों में बदलते देख रहे हैं। यह दिलचस्प है कि दौर के हम ही साक्षी होते हैं, दौर का हम ही सर्वाधिक आनंद उठाते हैं और दौर ही कभी हमारी धरोहर होकर रह जाता है। कई बार चीजें हमारे बीच से इस तरह रुखसत होती हैं कि हमको पता नहीं चल पाता। हमारी खुद की भी मन:स्थिति आगे सहजतापूर्वक स्थानांतरित हो जाया करती है लिहाजा हम कोई खास परवाह या चिन्ता भी उसकी नहीं करते। हमारे बीच से ग्रामोफोन ऐसे ही चला गया। एल पी और ई पी रेकॉर्ड ऐसे ही चले गये।

महू में दुर्लभ और लगभग समस्त रेकॉर्ड्स के संग्राहक सुमन चौरसिया से एक बार पूछा था कि आपने यह दुर्लभ जखीरा जमा कर रखा है, दौर पूरी तरह चला गया है, रेकॉर्ड तो ठीक है, ग्रामोफोन का लगातार दुरुस्त बने रहना और खासकर उसकी सुई की व्यवस्था कहाँ से हो पाती होगी जो तवे की परिक्रमा करती है और हमारे कान तक संगीत पहुँचता है, इस पर उस आदमी का भोला सा जवाब था, भैया मैंने अपनी जिन्दगी भर के लिए सुइयाँ खरीदकर इक_ा कर ली हैं। एक आदमी ने अपने जुनून और जिद के कारण अपने जीवन भर का इन्तजाम कर रखा है लेकिन यह भी तय है कि अन्त में सम्पदा ही धरोहर में तब्दील हो जाती है और धरोहर फिर संग्रहालय में जाती है। यही हाल कैसेट्स का भी है। सीडी आने के पहले तक अपने टेप रेकॉर्डर में हमने कैसेट्स के माध्यम से ही संगीत सुना है। बहुत सारे नवाचार दो दशक पहले तक हम ही किया करते थे।

गीत-संगीत के दीवानों ने अपने मनमाफिक चयन के मुताबिक बहुत सारा अपने आनंद का सामान इक_ा कर रखा था। कैसेट की गजब लोकप्रियता का पैमाना तो हमारे सामने दिवंगत गुलशन कुमार ने खड़ा किया था जिनके माध्यम से बड़ी कम्पनियों के नखरे, मँहगे दाम के विकल्प में उन्होंने सस्ते कैसेट्स बेचकर घर-घर में अपनी पैठ बनायी थी। उस दौर में कुमार सानू, अनुराधा पौडवाल, नितिन मुकेश, वन्दना वाजपेयी, पंकज उधास, अनूप जलोटा, विपिन सचदेवा, उदित नारायण आदि कितने ही कलाकारों की आवाजें परवान चढ़ी थीं। पिछले दिनों पंकज उधास ने एक बातचीत में इस ओर ध्यान आकृष्ट किया था कि हमारे बीच से कैसेट संस्कृति जा चुकी है।

हम सब म्युजिक ऑफ एक्सीलेंस के प्रभाव में सीडी की तरफ आ गये हैं मगर अपने-अपने वक्त में रेकॉर्ड से लेकर कैसेट तक का एक्सीलेंस रहा है। आज वाकई स्थिति यह हो गयी है कि बाजार में नयी फिल्मों का म्युजिक सीडी में ही जारी होता है। अब कैसेट नहीं मिलते। कैसेट युग अब समाप्त हो गया है।

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