सोमवार, 8 अगस्त 2011

मेरा लाखों का सावन जाये


हिन्दी फिल्मों में बरसात को दो तरह से खूब प्रयोग में लाया गया है। सबसे ज्यादा मनोरम और आनंद प्रदान करने वाला प्रयोग तो गानों में ही फिल्मकारों ने किया है लेकिन दूसरी तरफ सनसनीखेज घटनाओं और षडयंत्रों को अंजाम देने वाले दृश्यों में बरसात का पूरा का पूरा परिवेश ही दूसरा हो जाता है।

बहुत सी डरावनी फिल्मों में सन्नाटे के साथ-साथ बरसात में बुरे इरादों को पूरा करने वाली बातें देखने में आयी हैं। खासतौर पर रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में ऐसे दृश्य हुए हैं, एक भाखड़ी ब्रदर्स भी थे जो रामसे की तर्ज पर डरावनी फिल्में बनाया करते थे, वे भी कडक़ती बिजली, स्याह आसमान और धुँआधार वर्षा के दृश्यों को अपनी फिल्मों का हिस्सा बनाते रहे।

बरसात के गानों का मामला ही अलग है, रिमझिम के तराने ले के आयी बरसात से लेकर बरसात में हम से मिले तुम सजन तुम से मिले हम बरसात में, प्यार हुआ इकरार हुआ, जिन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात, एक लडक़ी भीगी भागी सी, रिमझिम गिरे सावन और न जाने कितने ही गाने हैं। याद करो तो अनेक गाने याद आते हैं। इन गानों को सुनना, उन दृश्यों के साथ यकायक जुड़ जाना होता है जो फिल्म का हिस्सा रहे।

यश चोपड़ा की फिल्म चांदनी में लगी आज सावन की फिर वो झड़ी में अवसाद और विरह नायक विनोद खन्ना के चेहरे और भाव से व्यक्त होते हैं। दासरि नारायण राव निर्देशित फिल्म प्यासा सावन में मौसमी चटर्जी और जीतेन्द्र पर फिल्माया गया गाना, मेघा रे मेघा, आज तू प्रेम का सन्देस बरसा रे, लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के संगीत से बड़ा प्रभावी बन पड़ा है। बरसात के अच्छे गानों में से एक नमक हलाल का वो गाना भी है, जो अमिताभ बच्चन और स्वर्गीय स्मिता पाटिल पर फिल्माया गया है, आज रपट जायें तो होश न दिलइयो।

पहले के निर्देशकों और कलाकारों में बरखा के गानों के फिल्मांकन को लेकर एक सुविचारित और कलात्मक सोच भी हुआ करता था। बाद में ऐसे निर्देशक भी आये जिन्होंने बरसात को नायिका के अंग प्रदर्शन का जायज और मौसमी पर्याय मान लिया। नायक, रोजा, बॉम्बे, फना, लगान, थ्री ईडियट्स, हम तुम, ये दिल्लगी आदि बहुत सी फिल्में इसी सोच को आगे बढ़ाने वाली हैं।

रोटी कपड़ा और मकान में हाय हाय ये मजबूरी और क्रान्ति में जिन्दगी की न टूटे लड़ी इसी तरह के गाने हैं जिसमें मनोज कुमार ने अपनी ऐसी आकांक्षाओं को भी पूरा किया। हालाँकि उनकी इसके पहले की फिल्म शोर में पानी रे पानी तेरा रंग कैसा में भी कुछ ऐसे शेड्स रहे। हमारे पाठकों को हो सकता है, इस वक्त ऐसे बहुत से गाने याद आ जायें जो यहाँ जिक्र में छूट गये हों, मगर शब्द-सेंसर की सीमा का अतिरेक करती इस टिप्प्णी के माध्यम से यदि आप सबकी यादें ताजा हो जाएँ तो अच्छा ही है, एक बड़ी सूूची ही तैयार हो जायेगी।

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