सोमवार, 4 मई 2015

उनकी मरहम-पट्टी से

बहुत देर से जागता हूँ। पता नहीं, क्या हमेशा ही ऐसा रहा होगा कि मैं अपनी नींद पूरी न सो पाया होऊँ? मुझे दरअसल इसका उत्तर अपने आपसे ही नहीं मिला। इस बात की इच्छाएँ बनाये रखी हैं कि ऐसे समय ही उठकर बैठ जाऊँ जब नींद, देह का घर खाली कर के चली जाये। पर यह इच्छा, इच्छा ही रही है। पूरा जीवन ही मैं साल, महीनों और दिन में बँटे टुकड़ों में देखा करता हूँ। मुझे लगता है कि कुछ दिन बाद जो छुट्टियाँ लाल रंग में लिखी आकर्षित कर रही हैं, उनमें मुझे जरूर ठीक से सोने को मिलेगा।

माँ और पिता से मिलकर आने की ख्वाहिश भी कुछ घण्टों की तात्कालिक दवा की तरह होती है। जो पीड़ा तत्क्षण दूर होती है वह फिर होने लगती है। जरा से समय का साथ होना दूरी से अधिक तनाव दिया करता है। अपने लोगों के बीच कहता ही रह जाता हूँ कि कुछ-कुछ दिन उनके साथ रहा करूँगा पर यह दिन भी उसी तरह हाथ से छूटते हैं। लेकिन तय मैंने फिर भी कर लिया है कि दूर किसी कमरे में ही सही पर उनकी ऊष्मा में थोड़ा-थोड़ा जिया जरूर करूँगा।

कई बार बहुत सारे अपने मिलकर जैसे जाने-अनजाने तोड़ दिया करते हैं। उस वक्त बहुत घबराहट होती है। मन करता है कि किसी की शिकायत न करूँ लेकिन टूटे-तड़के हिस्सों के साथ कम से कम माता-पिता के पास चले जाया करूँ। उनकी दवा, की गयी मरहम-पट्टी से जरूर फिर ठीक हो जाया करूँगा। माँ अक्सर यह कहकर आँखों में आँसू भर लिया करती हैं कि कई दिनों के लिए उनको छोड़कर न जाया करूँ। मैं निरुत्तर होता हूँ। मेरी कितनी ही दुष्टताओं को अपनी निस्सीम उदारता में बिसरा देने वाली माँ ही हो सकती है जो एक-दो दिनों के बिछोह से भी विचलित हो जाया करती है।

जीवन छोटे-छोटे टुकड़ों में तरह-तरह का आस्वाद प्रदान करने वाली कहानियों की तरह हो गया है। इन कहानियों में सभी को रस आ सकता है। ये कहानियाँ लेकिन अपने-अपने सार और तत्वों में ऐसे विचलन से भरी हैं जिनके दृश्य मात्र की कल्पना भर से नींद छूटकर दूर जा गिरती है। नींद के समय के विरुद्ध समय में जागे रहना सन्नाटे में दूर की आवाजों को सुनना होता है। ऐसे अनेक दूर में बड़ी दूर रेल की सीटी और उसके आने-जाने की आवाज भी सुनायी देती है। मैं दोस्त फिल्म का अपना प्रिय गाना, गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है, याद करने लगता हूँ। इस गाने को याद करते ही मेरे आँसू छलक आते हैं, एक अनाथ को गोद लेकर बेटे की तरह प्यार करने वाला एक पादरी उसे रेल के माध्यम से जीवन की सीख दे रहा है..........................

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