रविवार, 9 जनवरी 2011

परिपक्वता की अपेक्षाएँ

एक चैनल बड़े विस्तार से एक बात बतला रहा था जिससे दो बातें साफ होती दीखीं। चैनल का समाचार यह था कि करीना कपूर अपने प्रेमी सैफ की फिल्म एजेन्ट विनोद में तो काम कर रही हैं, उनको आने वाले समय में शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान को लेकर नयी फिल्में बनाने वाले निर्देशकों ने भी अनुबन्धित कर लिया है। करीना कपूर अब ऐसी व्यस्त हो गयी हैं कि उनके पास अब सैफ की दो फिल्मों के लिए वक्त नहीं है। इसलिए सैफ ने अपनी निर्माण संस्था की आने वाली इन फिल्मों के लिए दीपिका पादुकोण से सम्पर्क किया है।

इस बात से एक बात यह साबित हुई कि इस समय करीना कपूर, एक बार फिर कैटरीना को पीछे छोडक़र कैरियर में नम्बर वन की जगह के इर्दगिर्द पहुँचने लगी हैं और दूसरी बात यह कि इस वक्त के तीन सफल सितारे, शाहरुख, सलमान और आमिर में अलग-अलग मतभेद और वाक्युद्ध भले खूब चलते रहें, एक नायिका तीनों नायकों के साथ काम कर रही है और वह भी बाकायदा, बड़े सधे हुए सामंजस्य के साथ। तीनों खानों में शाहरुख खान अकेले आमिर और सलमान के सामने हैं और लगातार वाक्मोर्चा में हार मानने को तैयार नहीं। आमिर यदि थ्री ईडियट्स पर फूले नहीं समा रहे हैं तो सलमान के पास अपनी दबंगई के जायज कारण हैं। माय नेम इज खान, शाहरुख खान की ऐसी फिल्म थी जिसमें किरदार के लिए उनकी जी-जान से लगायी प्रतिभा भी उनके कलाकार की साख बढ़ा न सकी। इसके विपरीत आमिर और सलमान ने अपना झण्डा ढंग से गाड़ दिया।

यह दिलचस्प है कि सलमान, आमिर की प्रतिभा को जानते हैं और उन्हें सलाम भी करते हैं और आमिर भी सलमान की प्रशंसा करने में देर नहीं लगाते। दोनों की ठीक जमती है और दोनों मिलकर हर उस अवसर का भरपूर लाभ लेते हैं जब उन्हें शाहरुख के बारे में कुछ कहना हो। शाहरुख ज्यादातर झुंझलाए रहते हैं और दूसरे दोनों खान के सवाल पर कुछ न कुछ कह जाते हैं। यह खाइयाँ जाने कब जाकर पटेंगी? यह गौरतलब है कि करीना ने अपने आपको इन लड़ाइयों का हिस्सा नहीं बनाया है, एक समझदार प्रोफेशनल कलाकार की तरह वह सबकी मित्र हैं और सबके साथ हैं। बात सही भी है। समझदार प्रोफेशनलिज्म उम्र के साथ ही आता है।

हालाँकि परिपक्वता की अपेक्षाएँ प्राय: उम्मीदों के विपरीत परिणाम देती हैं, पर ठीक है, जो जिस उम्र में समझदार हो जाये, वही काफी है। यह साल करीना के लिए फिलहाल तो बेहतर ही लगता है।

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