सोमवार, 17 जनवरी 2011

सक्रियता और सन्यास

फिल्म जगत में सक्रियता, कलाकार को हर वक्त तरोताजा और जवाँ बनाए रखती है। यदि नियमित सक्रियता से दूर हुए तो लम्बी अवधि का आराम, दोबारा सक्रिय करने में आलस्य और प्रमाद के व्यवधान खड़े ही रखता है। अब चूँकि फिल्म जगत में मिलने-मिलाने और मुस्कुराहट के रिश्ते भी आर्थिक गणित के इर्द-गिर्द आकर सिमट गये हैं लिहाजा न तो कोई व्यक्तिगत रिश्ता बन पाता है और न ही हमदर्दी या संवेदना की कोई जगह बन पाती है। ऐसे में कब कौन विस्मृति में दर्ज हो जाये, कहा नहीं जा सकता। फिर अब जो पीढ़ी सिनेमा बनाने के काम में है, वह वरिष्ठ और बड़े कलाकारों को उनके स्वभाव के साथ कई बार साबका बैठा पाने में असमर्थ होती है। ऐसे में जो एक बार लाइन हाजिर हुए, वे मुख्य धारा में लौट ही नहीं पाते।

अमिताभ बच्चन जैसे उदाहरण तो और दूसरे न ही होंगे जो खुद इस बात को चार जगह कहकर बताएँ कि सात-आठ साल लगातार कुछ न करने के बाद एक दिन अपने घर से यश चोपड़ा के घर पैदल ही चला गया और जाकर कहा कि मुझे आपके साथ काम करना है। इसके बाद उनको यशराज फिल्म्स ने मोहब्बतें फिल्म की केन्द्रीय भूमिका दी। बाद में उनका सितारा यहीं से बागवान तक आकर जो परवान चढ़ा कि फिर उसमें कौन बनेगा करोड़पति से लेकर तमाम तरह के विज्ञापन अनुबन्ध भी शरीक हो गये। धर्मेन्द्र भी बीच में कई वर्ष फिल्मों से दूर रहे फिर अचानक जॉनी गद्दार, मेट्रो की भूमिकाओं के साथ ही अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी अपने ने उनको फिर सक्रियता दी। आज यमला पगला दीवाना के प्रदर्शन के पहले जिस तरह से उन्होंने देश भर में अपनी फिल्म का खुद आगे जाकर प्रचार किया, वह कम बड़ी बात नहीं है। चार फिल्में वे और भी कर रहे हैं।

इस समय कुछ कलाकार ऐसे ध्यान में आते हैं जिनकी अच्छी खासी जगह सिनेमा जगत में है मगर वे फिल्मों से एकदम दूर हो गये हैं, ऐसे कलाकारों में कादर खान का नाम भी प्रमुख है। वे अब मुम्बई से पूना जाकर बस गये हैं। फिल्में कुछ वर्षों से वे नहीं कर रहे हैं। एक कलाकार देवेन वर्मा हैं, जो पूना में रहकर फिल्मों से दूर हो गये, फिर कुछ वर्ष पहले दो-चार फिल्मों में उनको देखा गया। बहुत सी अभिनेत्रियाँ जिन्होंने शादी कर ली और परिवार सम्हालने लगीं उनकी बात अलग है मगर कुछ अभिनेत्रियों, अभिनेताओं-चरित्र अभिनेताओं में राखी, जैकी श्रॉफ, मिथुन चक्रवर्ती, अमोल पालेकर जैसे कलाकार अक्सर याद आते हैं। वक्त, भले उनकी भूमिकाओं को बदल दे मगर छबियाँ सामने बनी रहनी चाहिए।

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