गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

प्रीत ये कैसी बोल री दुनिया : निम्मी

18 फरवरी, भारतीय सिनेमा के स्वर्णयुग की एक प्रमुख अभिनेत्री निम्मी का जन्मदिन है। अटहत्तर वर्षीय यह अभिनेत्री मुम्बई में जुहू के निकट एक फ्लैट में रहती हैं और खाली पलों में बीते लम्हों को याद करती हैं। सिनेमा में हम जो समय देख रहे हैं, वहाँ सक्रिय पीढ़ी आपस में एक-दूसरे से छींटाकशी, द्वेष और परस्पर नीचा दिखाने वाले रिश्ते निभा रही है। ऐसे में भला किसके पास इतना वक्त होगा कि वो प्राण साहब को जन्मदिन की मुबारकबाद दे आये, निम्मी के पास बैठ आये, हंगल की सुध-बुध ले या खैयाम को जन्मदिन की बधाई कहे? सचमुच एक विचित्र सा गलाकाटस्पर्धी समय है और किसी को अपने पीछे का याद नहीं है।

खैर, पुरोधाओं को इससे क्या फर्क पड़ता है? अपने हुनर और प्रतिभा से बीसवीं सदी के इस सबसे चमत्कारिक माध्यम में चार चांद लगाने वाले और अपनी सहभागिता से इतिहास रचने वाले कलाकार अपने स्वाभिमान को भी जी रहे होते हैं। उनके पास देने के लिए आशीर्वाद होता है मगर उसे वे लिए-लिए नहीं फिरते, अपनी गरिमा के साथ अपने पास सहेजकर रखते हैं। अभी पिछले रविवार हमने मेहबूब खान की फिल्म अमर की चर्चा की थी जिसमें निम्मी का जिक्र आया था। सत्रह वर्ष की उम्र में राजकपूर की फिल्म बरसात से शुरूआत करने वाली निम्मी ने के. आसिफ की फिल्म लव एण्ड गॉड के बाद अपने काम को विराम दिया था। लेखक-पटकथाकार अली रजा से उनका विवाह हुआ था। अस्सी के बाद फिर उन्होंने काम नहीं किया।

निम्मी से राजकपूर उस वक्त प्रभावित हुए थे, जब वे अन्दाज के सेट पर मेहबूब खान से मिलने आयीं थीं, जिनसे उनके परिवार का करीबी रिश्ता था। फतेहाबाद, आगरा की रहने वाली निम्मी का नाम नवाब बानो था। बरसात में वे अभिनेता प्रेमनाथ की हीरोइन बनी थीं। इस फिल्म में उन पर तीन गाने फिल्माए गये थे, बरसात में तुमसे मिले हम, जिया बेकरार है और पतली कमर। दिलीप कुमार उन दिनों मधुबाला, नरगिस आदि के साथ काम कर रहे थे मगर निम्मी के साथ भी उनकी फिल्में लगातार आयीं थीं जिनमें दीदार, दाग, आन और अमर प्रमुख हैं। तीस साल के अपने कैरियर में उन्होंने चालीस से ज्यादा फिल्मों में काम किया जिनमें भँवरा, सजा, आंधियाँ, उडऩ खटोला, भाई-भाई, मेरे मेहबूब, बसन्त बहार, चार दिल चार राहें आदि उल्लेखनीय हैं।

निम्मी, खूबसूरत आँखों वाली सम्मोहक अभिनेत्री स्वीकारी जाती रहीं। उनकी भूमिका, सहनायिका जैसी कभी नहीं रही। यादगार फिल्मों में उन पर अनेक न भूले जाने वाले गाने फिल्माए गये जिनमें सजा का, तुम न जाने किस जहाँ में खो गये, आन का, आज मेरे मन में सखी बाँसुरी बजाए, दाग में, प्रीत ये कैसी बोल री दुनिया, अमर में, उड़ी उड़ी छायी घटा, उडऩ खटोला में, हमारे दिल से न जाना, भाई-भाई में, मेरा नाम अब्दुल रहमान, मेरे मेहबूब में, अल्ला बचाये नौजवानों से और आकाशदीप का, दिल का दिया जला के गया, ये कौन मेरी तन्हाई में, आज भी अमर हैं।

3 टिप्‍पणियां:

ssrawat ने कहा…

aap mahan ho. sad sukh ki kamna karta huin.


ssrawat
noida
UP.

ssrawat ने कहा…

aap mahan ho. sada sukh ki kamna karta huin.nimmi jesi kalkar dubara paida fona mushkil hai

Sarla Sutaria ने कहा…

Jo pad se utra vo gumnam ho gaya. Aap gumnami ke andhkar me khoye in pratibhashali kalakaro ko fir se ujalo me le aate ho, Umda kaam karte ho. Bahut dhanyawad..