शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

पुरस्कार, अपेक्षा और उपेक्षा

फिल्म पुरस्कारों को लेकर कलाकार के मन में व्याप्त धारणा के दो अलग-अलग आयाम हैं। कुछ कलाकार चाहे वो कितनी भी ऊँचाई पर क्यों न पहुँच जाएँ, अपने नवाजे जाने को लेकर भीतर अच्छा भाव रखते हैं। पुरस्कार का सम्मान करना हर गम्भीर कलाकार के स्वभाव में होता है। आखिरकार तमाम विवादों और संदिग्धताओं के बावजूद अनेक स्तर और संस्थाओं के पुरस्कारों की अपनी निष्पक्षता है। यही कारण है कि बहुत सारे चालू पुरस्कारों की भेड़चाल के बावजूद कहीं-कहीं पुरस्कारों और सम्मानों को भेदभाव छू तक नहीं गया है। किसी स्तर पर अपने आग्रह, पूर्वाग्रह और कई बार दुराग्रह भी होते होंगे मगर बावजूद इसके निष्पक्षता का घी पूरी तरह मिलावटी नहीं होता।

अभी एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में नेशनल अवार्डों के सन्दर्भ में एक खबर प्रकाशित हुई कि फिल्म समारोह निदेशालय ने उन कलाकारों को नई दिल्ली में अपने अवार्ड समारोह में पधारने के लिए निमंत्रित किया है जिन्हें अलग-अलग श्रेणी में पुरस्कार मिले हैं। निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि कलाकार अपना पुरस्कार लेने स्वयं ही आयें, अपने किसी प्रतिनिधि को न भेजें। समाचार में यह बात भी स्पष्ट की गयी थी कि जो कलाकार पुरस्कार लेने नहीं आयेंगे उनका पुरस्कार उनके घर के पते पर कोरियर से भेज दिया जायेगा। एक संस्थान को इस तरह की दृढ़ता दिखाने के लिए साधुवाद है कि उसने अपने अवार्डों की गरिमा को इस तरह बरकरार रखने की कोशिश की है। सिनेमा के राष्ट्रीय पुरस्कार बड़े मायने रखते हैं।

आज के दौर में भले ही उनकी सम्मान राशि बढ़ाए जाने के बावजूद बहुत आकर्षक न हो मगर वह पुरस्कार सृजन की श्रेष्ठता का सम्मान है जो एक गरिमामय समारोह में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का दायरा समूचे हिन्दुस्तान तक विस्तीर्ण है। हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं का सिनेमा विभिन्न श्रेणियों में अपनी उत्कृष्टता के पुरस्कार का हकदार होता है। इस पुरस्कार के जरिए ही देश में सिनेमा के क्षेत्र में हो रहा सार्थक काम समाज और दर्शकों के सामने आता है वरना सुदूर राज्य में ऐसे श्रेष्ठ काम वहीं आये और गये होकर रह जाते हैं। इस नाते नेशनल अवार्ड एक बड़े श्रेय के भी हकदार हैं।

पा के ऑरो, महानायक अमिताभ बच्चन को इस बार श्रेष्ठअभिनय के लिए फिर राष्ट्रीय अवार्ड मिल रहा है। तीसरी बार वे श्रेष्ठ अभिनय के लिए सम्मानित हुए हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने जब अमिताभ बच्चन को राष्ट्रीय किशोर कुमार सम्मान प्रदान किया था तब भी वे इस सम्मान को ग्रहण करने भोपाल अपने खर्च पर निजी विमान से शाम को आये थे और सम्मान ग्रहण कर रात में वापस चले गये थे। सम्मान की मर्यादा और आदर के फिक्रमन्द ऐसे कलाकार हमेशा अलग ही दिखायी देते हैं।

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