सतीश कौशिक, रंगकर्म की कठिन और परिमार्जक साधना के साथ सिनेमा में अपनी गहरी प्रतिष्ठा स्थापित करने वाला वो नाम है, जिनके साथ तीन दशक की अनवरत सृजन सक्रियता और उत्कृष्ट प्रतिमान अनेकों उदाहरणों के साथ हम सभी स्मृतियों में निरन्तर विद्यमान हैं। अभिव्यक्ति की असाधारण क्षमताओं के साथ ही मौलिक और रचनात्मक निर्देशकीय दृष्टि सतीश कौशिक की विशिष्ट खूबी है। आपने अस्सी के दशक से रंगमंच और सिनेमा में अपनी वह उपस्थिति दर्ज करायी है, जो सृजन की निरन्तर यात्रा के रूप में आज भी हमारे सामने भावी जिज्ञासाओं और आयामों के प्रति हमें आश्वस्त करती है।
सतीश कौशिक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में उस पीढ़ी के साथ सक्रिय रहे हैं जिसने अनूठी ऊर्जा और उत्साह के साथ रंगमंच के इस प्रतिष्ठित संस्थान में सकारात्मक और यादगार वातावरण रचने का काम किया था। प्रतिभासम्पन्न और कुछ कर गुजरने वाले कलाकार मित्रों का यह समूह मुम्बई के सिने-जगत में विविधताओं के साथ अपनी-अपनी पहचान-प्रतिष्ठा बनाने में कामयाब रहा। सतीश कौशिक के कैरियर की शुरूआत अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के फिल्मकार शेखर कपूर के साथ उनके सहायक के रूप में हुई जिनके साथ ही एक अभिनेता के रूप में भी मासूम और मिस्टर इण्डिया में उन्होंने अपनी क्षमताओं का परिचय दिया। मिस्टर इण्डिया के पात्र कैलेण्डर के रूप में आज भी उनकी पहचान उतनी ही ऊर्जस्व है।
सतीश कौशिक ने एक अभिनेता के रूप में लगभग सौ फिल्मों में काम किया है जिनमें मासूम, मिस्टर इण्डिया, जाने भी दो यारों, मण्डी, उत्सव, रामलखन, साजन चले ससुराल, बड़े मियाँ छोटे मियाँ, हम आपके दिल मंे रहते हैं, कलकत्ता मेल, आबरा का डाबरा, अतिथि तुम कब जाओगे, ब्रिक लेन आदि शामिल हैं वहीं अनेक सफल फिल्मों रूप की रानी चोरों का राजा, प्रेम, हम आपके दिल में रहते हैं, मुझे कुछ कहना है, हमारा दिल आपके पास है, बधाई हो बधाई, तेरे नाम, तेरे संग, मिलेंगे मिलेंगे आदि को निर्देशित भी किया है।
सिनेमा में अपनी द्विआयामी व्यस्तताओं के बावजूद सतीश कौशिक की छटपटाहट नाटकों के लिए हमेशा बनी रहती है। वे नादिरा जहीर बब्बर, नीलम मानसिंह चौधरी, राजा बुन्देला, गिरिजा शंकर, आलोकनाथ, राजेश पुरी के साथ सतत् रंगकर्म के साक्षी हैं। उनका एक प्रमुख नाटक सेल्समेन रामलाल देश-दुनिया में अपार लोकप्रिय है। आज भी उसके शो हाउसफुल होते हैं। इस नाटक के देश-विदेश में अनेकों प्रदर्शन हुए हैं।
रंगमंच और सिनेमा जगत में सतीश कौशिक की उपस्थिति एक ऐसे कलाकार की है जो रचनाशीलता और अभिव्यक्ति की अन्तर्लय में खूबियों से लबरेज है। परदे पर उनको देखना, हर दर्शक के लिए मुरझायी उम्मीदों का फिर से हरे हो जाने जैसा है। वो अपनी अभिव्यक्ति से हम सबमें जिस आनंद की वर्षा करते हैं वो निराशा और उदासी की सारी उमस को पल पर में दूर कर देती है। हमारे समय के वे एक महत्वपूर्ण कलाकार और फिल्मकार हैं। उनको भोपाल शहर में कारन्त जी के नाम का सम्मान इफ्तेखार नाट्य समारोह में प्रदान किया जा रहा है।
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