गुरुवार, 21 मार्च 2013

साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस


साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस के बारे में भी अब तक समीक्षा-समालोचना के स्तर पर लिखा जा चुका है। इधर बाजार के आँकड़े प्रमाण देते हैं कि फिल्म ने अब तक लागत का छः गुना व्यवसाय कर लिया है। फिल्म देखने अभी भी लोग जा रहे हैं। इधर पान सिंह तोमर के लिए इरफान को नेशनल अवार्ड घोषित हुआ है। साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस भी इसी टीम की फिल्म है। इरफान हैं, टिग्मांशु धूलिया हैं, संजय चैहान हैं। इस बीच इरफान के प्रभाव में और भी दर्शक एक-दो हफ्ते इस फिल्म को देखेंगे।

यह एक ऐसी अपराध कथा है जो भले राजे-रजवाड़ों के इर्द-गिर्द बुनी गयी है मगर इसमें बहुत सारी प्रेरणाएँ विश्व सिनेमा की भी श्रेष्ठ अपराध कथा वाली फिल्मों से ली गयी है, इस बात को नकारा नहीं जा सकता। समझदार फिल्मकार स्वीकार न करते हुए भी पिछली अच्छी फिल्मों से खूबियाँ लेता जरूर है। साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस में भी यह बात देखने में आती है। फिर भी चूँकि इस फिल्म से वे सभी ऐसे लोग जुड़े हैं जिनमें खूबियों को खूबियों के साथ ले लेने की समझदारी है इसलिए फिल्म दिलचस्प लगती है।

पुराने टूटे-फूटे किले, खण्डहर और पत्थर की मूर्तियाँ अस्तित्वहीन दौर की गवाह हैं और ऐसे स्थानों में रह रहे राजाआंे की मनःस्थिति, अराजकता, हस्तक्षेप और मजबूरियाँ भी अच्छी पटकथा और दृश्य सर्जना में सामने आती है। कमलेश पाण्डे और टिग्मांशु की कहानी और टिग्मांशु के साथ संजय चैहान की पटकथा ही दरअसल फिल्म को देखने योग्य बनाती है। आदित्य प्रताप सिंह का किरदार पहिया कुर्सी पर अपने दौर की पौरुषहीनता का प्रतीक है। रसूखदार और शक्तिसम्पन्न रहे मनुष्य को उसकी क्षीणता लगातार मारती रहती है। यहाँ ऐसे ही क्षीणताभरे कुछ प्रतीक हैं। बाकी स्त्रियों की स्थितियाँ, उनकी घुटन और उससे उपजने वाली स्वेच्छाचारिता भी साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस में अलग तरह से सामने आती है। 


इरफान के साथ टिग्मांशु के साथ हमेशा काम करने वाले जिमी शेरगिल भी फिल्म में आपस का कन्ट्रास्ट हैं। दोनों ही कलाकारों का काम प्रभावी है, इरफान ज्यादा प्रभावित करते हैं क्योंकि उनका आत्मविश्वास गजब का है। यहाँ उनके किरदार के अनुरूप एक बेफिक्र मगर अदावती अन्दाज, रूमानी और खास मूँछों पर ताव देने का तरीका प्रभावित करता है। माही गिल को भी इसी परिधि की प्रभावी अभिनेत्री के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने त्रिकोण में अपना कोण इस तरह का रखा है कि उसे नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। सोहा अली चैथा कोण है जो सीमित क्षमताओं के बावजूद ठीक-ठाक उपस्थित होती हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस वक्त की खुरची हुई सतह पर बनी देख लेने वाली फिल्म है। हम सभी ऐसी दुनिया से बाहर और बड़ी दूर हैं इसलिए यह फिल्म जहन में ठहरी रहती है। इसके अलावा इसमें मुग्धा गोडसे और अंजना सुखानी को अपराधियों और राजाओं की बैठक में नचवाने के प्रसंग न जाने क्यों निर्देशक को जरूरी लगे?

साहब बीवी और गैंगस्टर रिटर्नस में मध्यप्रदेश के लेखकों कलाकारों की उल्लेखनीय उपस्थिति है, संजय चैहान की पटकथा, पीयूष मिश्रा का गाया गीत, जितेन्द्र शास्त्री और समता सागर की छोटी-छोटी भूमिकाएँ रेखांकित होती हैं।

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