मंगलवार, 5 अगस्त 2014

हिफाजत


दोपहर तेज बारिश में एक स्कूल की सड़क से गुजरना हुआ। शायद 1:30 का समय रहा होगा। बच्चों का एक स्कूल दिखायी दिया, जिसमें कुछ ही मिनट पहले ही छुट्टी हुई थी। सभी बच्चे अपने घर को जा रहे थे। कुछ जरा बड़े से बच्चे होंगे आठ-दस का समूह जो न छाता लिए था और न बरसाती, पीछे बैग टाँगे इत्मीनान से जा रहे थे। वे जल्दी में भी न दीखे। अपना समय याद आ गया, ऐसे भीगना आनंद की बात होती थी। कपड़े धोना-सुखाना तो माँ का काम होता था, अगले दिन सूखे कपड़े पहनाना उनकी जवाबदारी। 

कुछ बहुत छोटे बच्चे बरसातियाँ पहने, अन्दर ही पीठ पर अपना बैग लटकाये घर लौट रहे थे, दो-दो, तीन-तीन के समूह में। कुछ को लिवाने उनकी मम्मियाँ आयीं हुई थीं, वे ही साथ लिए आ रही थीं। वैसे एक बच्चे की मम्मी के साथ पास-पड़ोस के बच्चे भी सहजता से आ-जा लेते हैं। बच्चों की माँए परस्पर सखियाँ-सहेलियाँ होती हैं, आपस में बच्चों को लाते-ले जाते समय पूछ-बता लिया जाता है।

थोड़ा आगे चला तो सड़क जरा सी खाली हुई। बढ़ते हुए एक पिता को सायकिल के पीछे अपने बेटे को बैठाकर पैदल ही सायकिल ले जाते देखा। छोटा सा बच्चा था, सायकिल के कैरियर पर बैठा था जो सीट के पीछे होता है। वह बच्चा प्लास्टिक की बरसाती से पूरा ढँका हुआ, सीट को दोनों से हाथों से पकड़े झुका सा बैठा हुआ था और उसके पिता सिर से पाँव तक तर पानी में भीगते हुए पैदल सायकिल लिए चले जा रहे थे। स्वाभाविक है, घर पास ही होगा, जरा देर में पहुँच भी गये होंगे। 

मुझे उस संरक्षित बच्चे की पूरी चेष्टा और एक तरह का अभय प्रभावित कर गया। पीछे से आते हुए मैंने हॉर्न इसी इरादे से बजाया कि बच्चे का चेहरा देखूँ, वाकई बच्चा उस आवाज से पीछे घूमा, निगाह मिली तो मैं सुख से मुस्कुराये बगैर न रह सका। बच्चे और उसके पिता को थोड़ी देर देखते हुए यह जरूर सोचने लगा कि पिता किस तरह अपने बच्चे की अपनी ही सीमाओं और क्षमताओं में फिक्र के साथ हिफाजत करते हुए घर ले जा रहा है। 

बच्चों के साथ भीगने का डर हमेशा माता-पिता को सताता है क्योंकि उससे बच्चे जल्दी बीमार हो जाते हैं। यह चिन्ता मुझे सामने दिखायी दे रही थी। मैं सोच रहा था कि यह बच्चा अभी मासूम है, अपने पापा की सरपरस्ती में आनंद की सवारी कर रहा है। बड़ा होकर यही बच्चा अपने पिता का भी इसी तरह ख्याल रखेगा तो पिता का सारा संघर्ष सार्थक हो जायेगा, यह पूरा का पूरा समय निरर्थक न होगा जो वह बेटे की फिक्र के साथ व्यतीत कर रहा है........... 

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