राजेन्द्र ओझा को यूँ शायद सब लोग नहीं जानते होंगे लेकिन उनका सबसे बड़ा काम था मुम्बई में सितारों का पता बताने वाली डायरेक्ट्री का प्रकाशन करना। स्क्रीन वल्र्ड इस डायरेक्ट्री का नाम था जिसका प्रकाशन वे पिछले 33वर्षों से कर रहे थे। इस बात की कल्पना की जा सकती है कि मध्यप्रदेश के मन्दसौर से एक युवा चालीस साल पहले मुम्बई जाता है, फिल्मी दुनिया उसको आकृष्ट करती है, पत्रकारिता और लेखन करते हुए अपना कैरियर वो उसमें बनाना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे एक अलग ढंग का काम सूझता है, वह एक प्रकाशन करने के बारे में सोचता है जिसमें उसका उद्देश्य होता है फिल्म जगत के लोगों के पते और फोन नम्बरों की जानकारी देना।
राजेन्द्र ओझा, मध्यप्रदेश से ही मुम्बई गये एक वरिष्ठ फिल्म पत्रकार बद्रीप्रसाद जोशी के साथ मिलकर फिल्म से जुड़े प्रकाशनों और रिपोर्टिंग के कामों से जुड़ गये थे। कुछ समय बाद जब फिल्म डायरेक्ट्री के प्रकाशन का विचार आया तब यह काम उन्होंने स्वतंत्र रूप से किया। कुछ समय वे राजश्री प्रोडक्शन्स से भी जुड़े रहे जब इस निर्माण संस्था के नियंता ताराचन्द बड़जात्या थे और उस दौर में निरन्तर साफ-सुथरी, मनोरंजक और सभ्य किस्म की फिल्मों का निर्माण यह बैनर कर रहा था। यह बात जरूर है कि शुरू में राजेन्द्र ओझा को स्क्रीन वल्र्ड का प्रकाशन करना बहुत कठिन रहा लेकिन उन्होंने उस दौर में भी जब मोबाइल या सूचना संचार के आधुनिक साधन नहीं थे, सभी से सम्पर्क स्थापित कर अपने इस काम को आगे बढ़ाया। कहा जाता है कि इसका जब पहला प्रकाशन हुआ था तब शायद इसका मूल्य दो सौ पचास रुपए था और आज यही डायरेक्ट्री तमाम आधुनिक सूचनाओं से लैस लगभग दो हजार रुपए मूल्य की हो गयी है।
स्क्रीन वल्र्ड को राजेन्द्र ओझा ने बहुत विस्तार दिया। हिन्दी, मुम्बइया सिनेमा से आगे वे गुजराती सिनेमा, मराठी सिनेमा, चेन्नई फिल्म इण्डस्ट्री, बंगला फिल्मोद्योग के साथ-साथ साल भर आने वाले सितारों के जन्मदिन महीनेवार प्रस्तुत करने का काम इस डायरेक्ट्री ने किया है। राजेन्द्र ओझा का यह प्रकाशन हर साल किसी न किसी बड़े सितारे ने ही लोकार्पित किया है। मुम्बई फिल्म जगत में प्रत्येक सितारे के पास यह डायरेक्ट्री हर साल अपने नये संस्करण में अद्यतन हुआ करती है। इस तरह का काम किसी अन्य व्यक्ति ने मुम्बई में नहीं किया जो मध्यप्रदेश के राजेन्द्र ओझा ने करके दिखाया।
राजेन्द्र ओझा ने ही दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त कलाकारों के परिचय के साथ एक वृहद किताब का भी प्रकाशन किया और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त करने वाले कलाकारों की जानकारी देने वाली किताब का प्रकाशन भी किया। उन्होंने सिनेमा के सौ साल पूरे होने पर उसके बड़े वाल्यूम भी प्रकाशित किए, पहले 1913 से 1988 तक और बाद में अद्यतन। उनके बारे में, उनके योगदान को लेकर यह सब लिखे बगैर इसलिए नहीं रहा जा रहा है क्योंकि 26 जुलाई को उनका मुम्बई में अकस्मात निधन हो गया। दुखद यह है कि सारे कलाकारों का पता रखने वाले राजेन्द्र जी के अचानक इस तरह चले जाने का पता किसी को नहीं चला।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें