लम्बे समय बाद एक बार केतन मेहता के सक्रिय होने की खबर है। वे उस अनोखे इन्सान पर फिल्म बनाने जा रहे हैं जिसने अपनी पत्नी के प्रेम में पहाड़ काटने का साहस किया था। बहुत से लोग दशरथ माझी का नाम जानते होंगे। अब वे जीवित नहीं हैं लेकिन उनकी ही यह गाथा है कि मजदूरी करते हुए एक दिन अपनी पत्नी की परेशानी से द्रवित होकर उन्होंने पहाड़ काटकर रास्ता बनाने का असाधारण फैसला किया था और सब काम छोड़कर इस काम में जुट गये थे। दशरथ माझी ने आखिरकार अपनी जिद और जीवट का प्रमाण दिया और वह रास्ता चैड़ा कर दिया जहाँ से उनकी पत्नी को आने-जाने में चोट लग जाया करती थी।
इस जिद को पूरा करने में बीस से भी ज्यादा साल तो लग गये लेकिन बिहार के गया जिले के गहलौर गाँव के इस लोहपुरुष ने इतने लम्बे समय में एक भी क्षण अपनी जिद और जुनून को शिथिल नही होने दिया। यह जरूर दुखद रहा कि तंग पहाड़ को खोल देने का काम जब पूरा हुआ तब तक उनकी पत्नी इस दुनिया से जा चुकी थीं। उन्हें इस बात का दुख बना रहा कि फागुनी देवी उस खुले और बड़े रास्ते पर चलने के लिए जीवित न थीं। कुछ वर्ष पहले दशरथ माझी का भी देहान्त हो गया।
दशरथ माझी का जीवन एक अविस्मरणयी संघर्ष गाथा है जिस पर फिल्म बनाने का ख्याल केतन मेहता को आ गया। केतन मेहता लम्बे समय से अपनी फिल्म रंगरसिया को प्रदर्शित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जिसके लिए उनको अनुकूल अवसर अभी तक नहीं मिल पाया है। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने उम्मीद जतायी है कि शायद वर्षान्त तक वे रंगरसिया को रिलीज कर पायें तो राजा रवि वर्मा से प्रेरित है और रणदीप हुडा और नंदना सेन ने इसे अपनी भूमिकाओं से सुर्खियाँ प्रदान करने का काम किया है।
दशरथ माझी पर माउण्टेन मैन बनाने का ख्याल उनको उनकी संघर्ष गाथा को जानकर आया। यह घटना तो 1960 की है और सच में दशरथ माझी का संघर्ष 1980 तक जारी रहा है। मजदूर, विपत्ति और अभाव में जीते हुए एक आदमी किस तरह एक असाधारण काम कर जाता है, इसका उदाहरण उनका जीवन रहा। गैंग आॅफस वासेपुर से चर्चित नवाजउद्दीन सिद्दीकी ने इस फिल्म में दशरथ माझी की भूमिका निभायी है। उनके लिए यह चुनौतीपूर्ण था लेकिन किरदार को अपने लिए खुद बड़ी चुनौती मानने वाले इस प्रतिभाशाली कलाकार ने दशरथ माझी के गाँव, घर और उस रास्ते पर जाकर, तमाम इतिहास जानकर इस किरदार को निबाहने का निश्चय किया। इसमें राधिका आप्टे ने दशरथ माझी की पत्नी की भूमिका अदा की है।
केतन मेहता ने अपने समय में बड़ी महत्वपूर्ण फिल्में बनायी हैं, भवनी भवई, होली, मिर्च मसाला, हीरो हीरालाल, माया मेमसाब, सरदार, मंगल पाण्डे वगैरह। कुछ विफल फिल्मों से प्रभावित उनकी सक्रियता को दशरथ माझी पर बनी फिल्म शायद लौटा सके, यह कामना की जानी चाहिए।
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