भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय हर साल नवम्बर माह में अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह का आयोजन करता है। इस समारोह का बड़ा पुराना इतिहास है। किसी समय यह समारोह खासा परवान चढ़ा था। तब इसका एक साल नई दिल्ली और एक साल भारत के किसी राज्य की राजधानी में आयोजित किए जाने की परम्परा थी। हालाँकि इस समारोह को लेकर समर्थन और आलोचना की दो दृष्टियाँ रही हैं लेकिन उसके बावजूद इसके आयोजन में वे फिल्मी हस्तियाँ भी उपस्थित हुआ करती थीं और फिल्म देखा करती थीं जो फिल्म चयन को लेकर, व्यवस्था को लेकर, तवज्जो को लेकर तरह-तरह के प्रश्न उठाया करती थीं।
जिस समय हिन्दी में सत्तर के दशक से नया सिनेमा उद्घाटित हुआ और एक साथ सात-आठ प्रतिभाशाली निर्देशकों में तब के चलते हुए व्यावसायिक परिदृश्य में ध्यान आकृष्ट किए जाने योग्यन हस्तक्षेप किया तब उन सभी की भागीदारी को ऐसे समारोह में बड़ा महत्व दिया जाता था। हैदराबाद, कोलकाता, मुम्बई, तिरुअनन्तपुरम, चण्डीगढ़, चेन्नई, बैंगलोर में फिल्म समारोह को और प्रभाव इसलिए भी मिलता था कि वहाँ फिल्म संस्कृति को लेकर जितनी ज्यादा जागरुकता थी उतना ही ज्यादा सम्मान भी। दक्षिण के राज्यों में तो सरकार और सिनेमा दोनों जगह सिनेमा के ही प्रतिनिधि हुआ करते थे इसलिए मेजबानी भी ज्यादा अच्छे ढंग से होती थी। सिनेमा के प्रति सुरुचि, ज्ञान और जिज्ञासा रखने वालों को सौ पचास श्रेष्ठ फिल्मों को देखने के अवसर मिलते थे, बेशक यह दुनिया का अच्छा सिनेमा हुआ करता था। इस तरह बहुत सारे खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ सिनेमा के हिन्दुस्तान के इस सबसे बड़े समारोह ने अपनी लम्बी यात्रा की। राज्यों की राजधानियों के बाद हर अगले साल यह समारोह नई दिल्ली में होता था, वहाँ भी इसको ऐसा ही वातावरण मिलता था।
कुछ वर्ष पहले आयोजक संस्था सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसका स्थायी केन्द्र गोवा को बना दिया। गोवा इस समारोह की स्थायी जगह हो जाने के कारण, अपेक्षाकृत सभी व्यवस्थाएँ अत्यन्त व्ययसाध्य होने के कारण इस निर्णय की आलोचना हुई और दीगर राज्यों के सिनेमा से जुड़े लोग इससे दूर होते गये। गोवा में नियमित रूप से आयोजित होते रहने के कारण यह मुम्बई के ग्लैमर और हीरो-हीरोइनों की चमकदार उपस्थिति भर का उत्सव बनकर रह गया। गोवा राज्य ने इसकी मेजबानी ले तो ली लेकिन बिना इस दूरदृष्टि के कि कैसे यह पिछले उत्सवों की तरह देश का प्रतिनिधि सिनेमा उत्सव बने, इस पर विचार की जगह ही नहीं छोड़ी गयी।
बहरहाल ऐसी ही आलोचनाओं तथा अपनी आभा और प्रतिष्ठा को दाँव पर लगा चुका यह उत्सव गोवा में इस बार भी 20 नवम्बर से आयोजित हो रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इसी परिप्रेक्ष्य में सिनेमा के योगदान के लिए एक शताब्दी पुरस्कार भी घोषित कर दिया है जो इस वर्ष से प्रदान किया जायेगा। इस बार के इस समारोह में सिनेमा की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति की दो हस्तियाँ प्रमुख अतिथि के रूप में पधार रही हैं, इनमें से एक हैं बहुप्रतिष्ठित ईरानी फिल्मकार माजिद मजीदी और अमेरिकी अभिनेत्री सूसान सैरंडन।
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