दो दिन पहले प्रख्यात गजल गायक जगजीत सिंह का सत्तरवाँ जन्मदिन उनके चाहने वालों ने बड़े प्यार से मनाया। नई दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार में विख्यात कथक नर्तक पण्डित बिरजू महाराज, निर्देशक, पटकथाकार और गीतकार गुलजार और जगजीत सिंह की अनूठी प्रस्तुति त्रिधारा का संयोजन इस विशिष्ट अवसर के लिए किया गया था। जो मंच पर थे, वरिष्ठ कलावन्त, उनके लिए यह साथ एक अविस्मरणीय अनुभव तो था ही साथ ही साथ जो श्रोता-दर्शक इस बहुमूल्य अवसर के साक्षी हुए, वे संस्कृति की इन तीन धाराओं का समवेत शायद लम्बे समय न भुला पायें।
स्वाभाविक रूप से जगजीत सिंह का इस उम्र में आना, बड़ा कौतुहलभरा इसलिए लगता है क्योंकि वे सदैव से अपनी अभिव्यक्त शालीन छबि और व्यवहार से युवा ही दिखे हैं। यकीन ही नहीं होता कि इतने वर्ष उनको गाते हुए हो गये। उनका गला उसी तरह का है, जैसा हमने बरसों से सुना, सुन रखा है या सुनते आ रहे हैं। जगजीत सिंह की सक्रिय उपस्थिति हमें उस माहौल की याद दिलाती है जो लगभग तीन दशक से भी पहले एक साथ अनेक प्रतिभाशाली गजल गायकों की भरपूर सक्रियता और अदम्य ऊर्जा का हुआ करता था। उस समय शायद जगजीत सिंह शीर्ष के एक-दो गजल गायकों की तरह लोकप्रिय नहीं हुआ करते थे मगर धीरे-धीरे देखने में यही आया कि वक्त के साथ-साथ बहुत से नाम पुराने पड़ गये, बहुत सी छबियाँ तेजहीन हो गयीं और बहुत-सों के पास से जादू जाता रहा लेकिन जगजीत सिंह एक ही सन्तुलन से समय को अपनी श्रेष्ठता और उपलब्धियों के साथ साधते हुए यहाँ तक आ गये।
जगजीत सिंह की विशेषता यह रही है कि उन्होंने अपने भीतर से उत्कृष्टता को एक गरिमा के साथ अनुशासित रखा। उत्कृष्टता को भार की तरह या वजन की तरह उन्होंने एक कलाकार के रूप में कभी पेश नहीं किया। कला की दुनिया में उनकी अपनी ख्याति, उनका मूर्धन्य होना और महफिल में अपने एक्सीलेंस को लगातार धार दिए रहना यह सब उस तरह थे जो पूरी तरह उन ही से नियंत्रित हुआ करते थे। जगजीत सिंह किसी दौड़ का हिस्सा नहीं बने इसीलिए न वे जीते और न वे हारे। वे उस दौड़ के दर्शक भी नहीं हुआ करते थे बल्कि अपनी चाल पर उन्होंने सदैव ध्यान दिया और उसका सन्तुलन भी बरकरार रखा। जगजीत सिंह को जगजीत सिंह यही खूबी बनाती भी है।
उनको चाहने वालों का श्रोता-वर्ग अत्यन्त विराट है। गाते हुए वे मन मोह लेते हैं, मुग्ध कर देते हैं। उनके मुरीदों को कई बार उनका बहुत सहज या मिलनसार होकर न मिल पाना, तकलीफ देता है क्योंकि मंच से अलग चाहने वालों की मोहब्बत या आत्मीयता का पक्ष अपनी जगह सम्मोहन से वशीभूत होता है। सितारों से लेकर बड़े और लोकप्रिय चेहरों और शख्सियतों के प्रति आसक्ति रखने वालों की भावना का कुछ नहीं किया जा सकता। बहरहाल, जगजीत सिंह उम्र और यश में और समृद्धि हासिल करें, यह भी उनकी गायिकी के मुरीदों की चाह रहेगी। इस भावना को समझने वाले, चाहने वालों के प्यार से समृद्ध जिन्दगी को अमरत्व के बराबर मानते हैं।
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