साल का उत्तरार्ध ऐसे सिनेमा के लिहाज से ज्यादा आशाजनक मालूम होता है, जिनकी सफलताएँ उस तरह संदिग्ध नहीं होतीं जिस तरह पूर्वार्ध के सिनेमा की हुआ करती हैं। ऐसा लगने लगा है कि गर्मी का मौसम सिनेमा के लिहाज से बहुत ज्यादा उम्मीदभरा नहीं होता। गर्मियों में लोग बाहर कम निकलते हैं। दिन में तो खैर निकलना ही नहीं चाहते। शाम या रात में निकलेंगे भी तो घूमने और आइसक्रीम खाने जाना चाहेंगे या तालाब के किनारे टहलेंगे।
सिनेमाघर में दो घण्टे बे-भरोसे बैठना किसी को नहीं सुहाता। बे-भरोसे इसलिए कि फिल्में आजकल गारण्टी नहीं होतीं इस बात कि वो आनंद प्रदान करेंगी या सिर धुनने पर मजबूर करेंगी? ऐसे में जुलाई से दिसम्बर ज्यादा आकर्षक होते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही है। सब तरह की मँहगी और बड़े सितारों वाली फिल्मों की बयार है। बड़े निर्देशक, बड़े हीरो-हीरोइनें दीपावली और क्रिसमस को फिल्मों के लिहाज से सेलीब्रेशन के बड़े त्यौहार मानते हैं। यही कारण है कि लगभग हर माह दो-तीन बड़ी फिल्में अब रिलीज हुआ करेंगी। जिन्दगी न मिलेगी दोबारा और सिंघम इस माह का उदाहरण हैं।
इसी माह के अन्तिम सप्ताह में रिलीज होने वाली फिल्म खाप एक सशक्त फिल्म है जो ऑनर किलिंग पर आधारित है। अगस्त में प्रकाश झा आरक्षण रिलीज कर रहे हैं। 12 अगस्त की तारीख उन्होंने तय की हुई है पहले से। दिलचस्प यह है कि इसी दिन छोटी-बड़ी पाँच और फिल्में रिलीज हो रही हैं, इनमें साउण्डट्रैक, इट्स रॉकिंग दर्द ए डिस्को, फिर, साईं एक प्रेरणा और मैं कृष्णा हूँ शामिल हैं। 31 अगस्त को बॉडीगार्ड रिलीज हो रही है, सलमान खान की एक बड़ी और चर्चित फिल्म। सितम्बर में रॉकस्टार और मौसम फिल्में हैं।
मौसम, पंकज कपूर निर्देशित पहली फिल्म जिसके प्रोमो बहुत प्रभावित कर रहे हैं। सोनम कपूर और शाहिद कपूर की खूबसूरत जोड़ी। दिसम्बर तक फिर सिलसिला है, रास्कल्स, द डर्टी पिक्चर, एजेण्ट विनोद, डॉन आदि। एजेण्ट विनोद सैफ अली खान और उनकी मोहब्बत करीना की फिल्म है, निर्माता भी सैफ ही हैं और हीरो भी। बहरहाल सिनेमा, मौसम से अपने सरोकार बनाये हुए है, कुछ दर्शकों का भी मनभावन हो तो ही मजा है।
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