प्रकाश राज को उस समय हिन्दी सिनेमा का कोई दर्शक नहीं जानता था, जब उनको प्रियदर्शन निर्देशित तमिल फिल्म कांचीवरम के लिए श्रेष्ठ कलाकार का नेशनल अवार्ड मिला था। कांचीवरम, इसी नाम की साड़ी के बुनकरों के जीवन में गरीबी, अभाव, संघर्ष और विडम्बनाओं के साथ-साथ व्यापारियों और एक्सपोर्टरों द्वारा किए जाने वाले शोषण को दर्शाने वाली एक मर्मस्पर्शी फिल्म थी। इस फिल्म में प्रकाश राज ने एक ऐसे बुनकर की भूमिका निभायी थी, जो यह सपना भी देखता है और अपनी पत्नी को वचन भी देता है कि वो अपनी बेटी को विवाह के समय कांचीवरम साड़ी पहनाकर ही विदा करेगा। इसी सपने की त्रासदी पर पूरी फिल्म है जो मन को छू जाती है।
प्रकाश राज को तब ही दर्शकों ने जाना, जब वे इस पुरस्कार को पाकर चर्चित हुए और उसके बाद ही प्रभु देवा निर्देशित सलमान खान अभिनीत सुपरहिट फिल्म वाण्टेड में खलनायक बनकर गनी भाई के किरदार में आये। साउथ की फिल्मों में प्रकाश राज ने अनेकानेक किरदार निभाये हैं। उनकी गणना साउथ के आरम्भिक पाँच सुपर स्टारों में होती है। दक्षिण के सितारों में सबसे अधिक आयकर चुकाने वाले प्रॉम्ट अभिनेता के रूप में भी उनकी प्रतिष्ठा है। प्रकाश राज ने कुछ समय पहले ही सुप्रसिद्ध कोरियोग्राफर पोनी वर्मा से विवाह किया है।
हाल ही में प्रकाश राज एक के बाद एक दो हिन्दी फिल्मों में नजर आये हैं इनमें से एक है, बुड्ढा होगा तेरा बाप और दूसरी सिंघम। सिंघम को अपेक्षाकृत ज्यादा सफलता मिली है मगर वाण्टेड के गनी भाई प्रकाश राज को दोनों ही फिल्मों में दर्शकों ने खूब पहचाना है। हमारे दर्शक इस बात को मानते होंगे कि हिन्दी फिल्मों में लम्बे समय से सितारा खलनायक की कमी खल रही है। स्वर्गीय अमरीश पुरी के बाद एक मुकम्मल खलनायक की अवधारणा ही लगभग समाप्तप्राय थी। हाल की फिल्मों में प्रकाश राज को जिस तरह की भूमिकाएँ मिली हैं उससे लग रहा है कि वे उस जगह भरने का काम कर सकते हैं जो एक पूर्ण-प्रभावी खलनायक की हमारी फिल्मों में होती है।
सिंघम में प्रकाश राज ज्यादा पूर्णता के साथ हैं क्योंकि रोहित शेट्टी ने इस फिल्म को बनाते हुए अपना केन्द्रण मुख्य सितारों पर ही रखा है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस फिल्म में सितारे चुनिन्दा हैं। यही कारण है कि फिल्म को दो-तीन एंगल से मजबूत होने का पूरा मौका मिला है। प्रकाश राज अपने नकारात्मक किरदार को एक अलग तरह का मैनरिज्म प्रदान करते हैं, जिसमें हास्य बड़े दिलचस्प तरीके से मिश्रित होता है।
दर्शकों ने देखा होगा, वे मोबाइल पर बात करते हुए बार-बार मोबाइल को मुँह के सामने लाकर बोलने की कुछ लोगों की तकियाकलाम सी आदत की अच्छी मिमिक्री करते हैं। उनके कैरेक्टर लोमड़ी की तरह चतुर और पल-पल में बदलकर पेश होने वाले रूप में प्रभावित करते हैं। हिन्दी फिल्मों में प्रकाश राज बेहतर सम्भावना हैं।
2 टिप्पणियां:
दिलचस्प जानकारी हेतु आभार
बहुत-बहुत धन्यवाद पाबला जी।
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