गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

सोना और उसमें सत्य का होना

जिस तरह के नाम वाली, कमोवेश अंग्रेजी नाम वाली फिल्मों या कि बिना समझे-बूझे रख लिए गये नाम वाली फिल्मों के समय में हमें एक ऐसी फिल्म का प्रोमो आकर्षित करता है, जिसका नाम सीधे-सादे ढंग से निर्माता-निर्देशक ने दस तोला रख दिया है। जाहिर है जिस तरह की तौल की ध्वनि सुनायी देती है सो बात भी सोने की ही है। कोच्चि के रहने वाले युवा निर्देशक अजॉय ने यह फिल्म बनायी है जिसकी स्क्रिप्ट वे छ: साल से अपने हाथ में लिए घूम रहे थे। अपनी फिल्म के नायक शंकर के लिए उनको मनोज वाजपेयी ही जमे जिनसे वे इन वर्षों में लगातार मिलते रहे।

मनोज वाजपेयी इस बीच और फिल्में भी कर रहे थे, उनको अजॉय का कभी-कभार आकर अपनी फिल्म की बात करना ऐसा लगता था जैसे निर्देशक बहुत ज्यादा गम्भीर नहीं है फिल्म बनाने को लेकर लेकिन बात तब और बढ़ी जब राजनीति की शूटिंग करते हुए मनोज ने अजॉय को कई बार भोपाल बुलाया और स्क्रिप्ट, अपने किरदार इत्यादि के बारे में बातचीत की।

दस तोला में एक सुनार की भूमिका करने के लिए मनोज फिर कुशल और अनुभवी सुनारों के पास भी कई-कई दिन जाकर बैठे और इस तरह एक वर्ष की निरन्तरता में यह फिल्म बनकर तैयार हुई और अब प्रदर्शित किए जाने की तैयारी है। बात नाम को लेकर थी, हमें हो सकता है, नाम थोड़ा बैकवर्ड लगे, सिनेमा के हिसाब से मगर वक्त-वक्त पर लीक से हटकर, भव्यता के दौरमदौर में भी सहज और सच्चा काम अलग ही तरह से आकृष्ट करता है।

दस तोला एक चंचल और निश्छल लडक़ी के लालची पिता को भी दिखाती है और लडक़ी के लिए पूरे दस तोला का हार बनाकर भेंट करने वाले प्रेमी की लगन और जतन को भी। अब हमारे यहाँ फिल्मों में कस्बे में घटित होने वाला कथानक कहीं दिखायी नहीं पड़ता।

हिन्दी सिनेमा का नायक फिल्म में सायकल भी चलाते हुए नहीं दीखता, आर्थिक और सामाजिक रूप से वह आम आदमी को भी नहीं जीता, इसीलिए फिल्में यथार्थ से दूर काल्पनिक जिसे भदेसपन में फर्जी भी कह सकते हैं, उस तरह की दुनिया का हिस्सा बनती दिखायी देती हैं। इस सिनेरियो में दस तोला का अपना महत्व बनता है जिसका नायक शंकर अपनी प्रेमिका स्वर्णलता को सायकल पर घुमाने ले जाता है।

बहुत सारी बेमतलब की फिल्मों को देखकर पैसे बरबाद करने और सिर धुनने वाले दर्शकों को कभी-कभार और बड़ी कठिनाई से बनकर किसी तरह सिनेमाघर पहुँचने वाले ऐसे सिनेमा की तरफ भी तवज्जो कर लेनी चाहिए। इस फिल्म का एक संवाद है, सोने में सत्य का एहसास होता है।

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