बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

बिजली दौड़ती थी शम्मी कपूर की देह में

शम्मी कपूर 21 अक्टूबर को अस्सीवें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। भारतीय सिनेमा का एक अहम हिस्सा, हिन्दी सिनेमा है और आज के समय में जिन पितृ-पुरुषों की यशस्वी उपस्थिति हमें गौरवशाली इतिहास का स्मरण कराती है, उनमें दिलीप कुमार, प्राण, देव आनंद के साथ शम्मी कपूर भी प्रमुखता से आते हैं। देव आनंद अपनी देखभाल और चिन्ता किए जवाँ बने रहते हैं मगर शेष कलाकार उम्र के साथ-साथ स्वास्थ्य की विकट कठिनाइयों से अपने भरपूर जीवट से जूझ रहे हैं। शम्मी कपूर भी उनमें से एक हैं जिन्हें शायद रोज ही डायलिसिस कराना होता है मगर उनके हौसले वही के वही हैं। वे सार्वजनिक मौकों और उत्सवों में जाते हैं, सबसे मिलते-जुलते हैं, इन्टरनेट के तो खैर वे गहरे आसक्त और सर्चिंग-सर्फिंग के मास्टर हैं ही, साथ ही अपने कुटुम्ब में आज सबसे बड़े होने की विरासत को भी गरिमा के साथ सहेजे हुए हैं।

शम्मी कपूर की उपस्थिति और उनकी फिल्मों के कुछ नाम याद कर लेना बड़ा दिलचस्प लगता है। खासकर आज इसलिए भी उनकी चर्चा करना महत्वपूर्ण लगता है कि स्वास्थ्य की गम्भीर कठिनाइयों के बावजूद वे अपने पोते रणबीर कपूर की एक फिल्म रॉकस्टार में काम करने के लिए तैयार हो गये और उन्होंने शूटिंग भी की। निर्देशक इम्तियाज अली और पोते रणबीर ने उनको यह प्रस्ताव किया। इसकी खूब चर्चा है।

शम्मी कपूर का फिल्मों में आना, अपने आपमें एक विरासत का अनुपालन कितना रहा होगा, कह नहीं सकते, मगर चुनौतीपूर्ण भी कम नहीं था। वे ऐसे वक्त में अपना काम शुरू कर रहे थे जब उनके बड़े भाई राजकपूर ने शुरूआत कर दी थी और पिता पृथ्वीराज कपूर ने अपना वर्चस्व बना रखा था। शम्मी कपूर के लिए चुनौती अपने अन्दाज को सिरजना, उससे दर्शकों को सहमत करना और सफल होना आदि कई आयामों में थी लेकिन उन्होंने अपना एक दर्शक वर्ग बनाया। तुमसा नहीं देखा, दिल दे के देखो, जंगली, प्रोफेसर, चाइना टाउन, राजकुमार, तीसरी मंजिल, एन इवनिंग इन पेरिस ब्रम्हचारी आदि बहुत सी फिल्में स्मरण मात्र से रील की तरह गुजर जाती हैं हमारे जेहन में।

वे आशा पारेख, शर्मिला टैगोर, अमिता, राजश्री, सायरा बानो के नायक रहे। पाश्र्व गायन में उनके लिए मोहम्मद रफी ने खास तरह का अन्दाज विकसित किया। प्राण उनके दोस्त, उनके साथ कई फिल्मों में खलनायक रहे। खानपान में शाही और खासे रुचिवान होना ही शम्मी कपूर के पहाड़ से हो जाने का कारण बना मगर उत्तरार्ध में चरित्र अभिनेता के रूप में भी वे खूब सक्रिय रहे।

जंगली, शम्मी कपूर की एक ऐसी अविस्मरणीय फिल्म है, जो उनके लिए ट्रेंड सेटर ही नहीं बल्कि पक्की पहचान देने वाली मानी जायेगी। शम्मी कपूर पर अपने को कुछ देर एकाग्र करके देखिए, आप पायेंगे, कि हमारे बीच एक ऐसा अकेला और अनोखा महानायक है, जिसकी देह में सतत् स्पार्क होता रहता है।