सोमवार, 15 नवंबर 2010

बदजुबानी लहजे का इन्साफ

विषय पर बड़ी सावधानी के साथ बात करने को जी चाहता है, खतरा यह भी लगता है कि आजकल के चलन में सब लोकप्रियता के नाम पर है, हादसे भी और विवाद भी सो पता नहीं अपना लिखा, अपना उठाया मुद्दा जमाने के हिसाब से कौन सी राह पकड़ ले मगर इस बात पर चुप रहना भी मूर्खता होगी, कि एक बदतमीज और अशिष्ट स्त्री अपनी परममूढ़ता के चरम पर इस सीमा तक जा सकती है कि उसकी बात से एक आदमी अपनी जान से भी हाथ धो बैठे।

राखी सावन्त के रूप में बात हम एक ऐसी युवती की कर रहे हैं जो पिछले वर्षों में सिर्फ इसलिए कामयाब होती चली गयी क्योंकि हर शहर में उसके नाच के शो एनवक्त पर अश£ीलता के खतरों और उनसे बरप उठने वाली अराजकता के डर से निरस्त किए जाते रहे। अनेक शहरों में उसे अपने भद्दे नाच और उससे खड़ी हो जाने वाली कानून-व्यवस्था की मुश्किलों को लेकर उल्टे पैरों वापस लौटना पड़ता था। दुर्भाग्य यह है कि राखी सावन्त इतने पर ही प्रसिद्ध होती चली गयी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उसके नाचने से लेकर नहीं नाचने और नहीं नाच पाने से उठी झल्लाहट तक को रसीली खबर बनाकर बेचता-दिखाता रहा। आखिरकार राखी सावन्त को कुछ चैनलों ने सीधे इस तरह मान्यता प्रदान की जैसे वह हमारे समय की सबसे बड़ी मीडिया महारानी हो। बड़े-बड़े रिपोर्टर भी उसकी स्तरहीनता को उफान देने में चुटकी बजाते हुए आगे आये।

चैनलों में उसके कार्यक्रम शुरू हुए, उसका स्वयंवर का अच्छा-खासा धारावाहिक चलता रहा। एक कदम आगे जाकर राखी का इन्साफ नाम का रीयलिटी शो एक चैनल ने शुरू कर दिया जिसमें कायिक और वाचिक परम्परा दोनों में ही लगभग अनावृत्त राखी सावन्त को देखते-बोलते घर बैठे दर्शक निहाल होते रहे। युवाओं और किशोर बच्चों को राखी की भदेस वाचालता में रस आने लगा और आखिर तार्किकता में अपढ़ और लगभग निरक्षर हीनवृत्ति को अपने मुँह से लगभग फेंकने वाली इस इन्साफकर्ता ने एक आदमी को मौत का रास्ता दिखा दिया। अब कानूनी परिस्थितियाँ बन रही हैं तो चैनल भी अपनी जवाबदारी से पल्ला झाड़ रहा है।

कुछ समय पहले तक एक शो हम किरण बेदी का देखते थे जिसकी अपनी मर्यादा और प्रासंगिकता नजर भी आती थी। किरण बेदी एक अनुभवी पुलिस प्रशासन और समाज सेवी हैं उनका अपना तरीका किसी भी बात को सुनने और समाधान प्रस्तुत करने का बिल्कुल अलग होता था लेकिन पता नहीं कैसे एक चैनल समाज की सेवा के लिए इन्साफ करने का दायित्व राखी सावन्त जैसी सदा निरर्थक और विफल कलाकार को देने पर अमादा हो गया और परिणाम इस रूप में सामने आया। हो सकता है, इसके सभी जिम्मेदार, कन्नियाँ काट रहे हों, दोषारोपण कर रहे हों, मुँह छिपा रहे हों मगर रीयलिटी शो की पहचान बनती जा रही बदजुबानी ने एक हादसा पेश कर दिया है। पता नहीं और कितने हादसे होंगे?

1 टिप्पणी:

shashiprabha tiwari ने कहा…

Sunilji!sach yah halke manoranjan parosne aur sirf paise ke lie kiya jaanewala khel hai.