3 अगस्त, अपने जमाने की यादगार अभिनेत्री शशिकला का जन्मदिन है। वे अठहत्तर वर्ष की हुई हैं। पाँच साल पहले उनको, उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा था। शशिकला बहुत छोटी सी उम्र से फिल्मों में काम करने लगी थीं। यही कारण है कि इस उम्र में भी उनका कैरियर छ: दशक से भी अधिक समय बराबर है। जो फिल्मों के शौकीन हैं और जिनके पास तीस-चालीस साल की फिल्मों को देखने का अनुभव है, वे शशिकला को अच्छी तरह जानते हैं।
वे बिन्दु और हेलन के पहले की सबसे चर्चित वैम्प हैं जिनका क्रम नादिरा के बाद आता है। लेकिन उसके पहले नायिका और सहायक अभिनेत्री की भूमिकाएँ उन्होंने अनेक वर्ष निभायी हैं। उनकी फिल्मोग्राफी में स्वर्गीय बिमल राय से लेकर हृषिकेश मुखर्जी और दिलीप कुमार से लेकर शम्मी कपूर और धर्मेन्द्र के साथ की गयी अपने समय की सफल और लोकप्रिय फिल्में शामिल हैं। उन्होंने मीना कुमारी से लेकर मीनाक्षी शेषाद्रि तक को अपने तेवर से टक्कर दी है।
महाराष्ट्र के सोलापुर में 1933 में जन्मीं शशिकला ने बारह वर्ष की उम्र में फिल्म में काम शुरू किया था। इसके पहले वे पाँच साल की उम्र से सांस्कृतिक मंचों पर अपनी प्रतिभा नृत्य और गाने से प्रदर्शित किया करती थीं। पिता के मुम्बई आ जाने के बाद उनके लिए अपने लिए अवसर तलाश करना ज्यादा सार्थक और आसान हुआ।
शशिकला को अपने जमाने की प्रसिद्ध अभिनेत्री नूरजहाँ के पति शौकत ने अपनी फिल्म जीनत की एक कव्वाली में रखा था। बाद में व्ही. शान्ताराम की फिल्म तीन बत्ती चार रास्ता में उनको एक अवसर और मिला। आरजू, दीवाली की रात, बंधन, नौ दो ग्यारह, सुजाता, कानून, जंगली, हरियाली और रास्ता, हमराही, गुमराह, दूर गगन की छाँव में, आयी मिलन की बेला, आपकी परछाइयाँ, नीला आकाश, हिमालय की गोद में, वक्त, फूल और पत्थर, नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे, देवर, अनुपमा, नीलकमल, हमजोली से लेकर कभी खुशी कभी गम तक जाने कितनी फिल्में होंगी जिनमें शशिकला को उनकी खूबसूरत और आकर्षक पर्सनैलिटी में भी खास नकारात्मक तेवरों, नकारात्मक किरदारों में हमने याद रखा।
फिल्मी दुनिया में नायिका बनने का ख्वाब लेकर हर महिला कलाकार का आना होता है मगर नायिका के रूप में अवसर और पहचान कठिन होने की स्थितियों में नायिका के बरक्स अपनी उपस्थिति रेखांकित करना जितना सशक्त शशिकला के लिए रहा, शायद किसी और अभिनेत्री के लिए नहीं। वे बी. आर. चोपड़ा की अनेक फिल्मों का हिस्सा रही हैं। फूल और पत्थर में उनका कैबरे, शीशे से पी या पैमाने से पी, या मेरी आँखों के मयखाने से पी, धर्मेन्द्र के साथ आज भी याद है।
अनुपमा में भी उनका गाना, भीगी भीगी फजा, सन सन सन के जिया, आशा जी की आवाज में याद आता है। शशिकला जी की यशस्वी उपस्थिति हमारे बीच हिन्दी सिनेमा के एक गौरव की उपस्थिति है। वे स्वस्थ, दीर्घायु हों, यही कामना है।
2 टिप्पणियां:
ghar-ghar ki kahani film mai inka kirdar LALITA PANWAR JI ke saas k rol ko takkar deta hai..........
shashikala ji hamari film indsrties ki ANMOL dharohar hia.........
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