शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

नियंत्रण के बाहर सेंसर के मसले


भारत सरकार को कई दिनों इस बात के लिए मशक्कत करनी पड़ी कि वो सेंसर बोर्ड का नया अध्यक्ष किसे बनाए? शर्मिला टैगोर पिछले समय तक अपने पूरे कार्यकाल में इस पद को सुशोभित करती रही हैं। उनके पद पर रहते ही जाने कितनी ही ऐसी फिल्में प्रदर्शित हुईं जिनको सेंसर के मापदण्ड पर खरा उतरता नहीं पाया गया था। खुद उनके बेटे सैफ अली खान की फिल्म कुरबान उनके ही कार्यकाल में प्रदर्शित हुई थी जिसमें अतिशय अश£ीलता को मुद्दा बनाते हुए मुम्बई के महिला संगठनों ने करीना कपूर के घर के सामने प्रदर्शन किया था और साडिय़ाँ लहराईं थी। शर्मिला, अपने फिल्मी कैरियर में एक शालीन और शिष्ट छबि वाली अभिनेत्री रही हैं। अध्यक्ष के रूप में वे फिल्मों में अमर्यादित अराजकता को नियंत्रित नहीं कर सकीं, यह बात सभी ने मानी है।

स्त्री की छबि और मर्यादा से जुड़े मसलों पर निर्णय लेने के लिए या हस्तक्षेप करने के लिए किसी भी स्त्री का चयन करना, उसे अधिकार देना सबसे ज्यादा भरोसेमन्द पहल मानी जाती है। अपेक्षा यही की जाती है कि एक महिला ऐसे किसी संवैधानिक या जिम्मेदार पद पर रहते हुए कम से कम स्त्रियों की छबि के विरुद्ध किसी भी तरह की स्वेच्छाचारिता का समर्थन नहीं करेगी। लेकिन अब इसके उदाहरण उल्टे दिखायी दे रहे हैं। दिवंगत विजय आनंद ने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए कुछ सख्त कदम उठाये थे लेकिन उनके तार्किक साहस-दुस्साहस को बर्दाश्त किया जाना मुश्किल हुआ लिहाजा समय से पहले वे इस पद से हट गये।

सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष के रूप में आशा पारेख ने भी पूरा कार्यकाल व्यतीत किया था। उनसे भी यही अपेक्षा की जाती थी कि वे फिल्मों में बेलगाम हिंसा और अश£ीलता के मनोविज्ञान और बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगायेंगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रिटायरमेंट की अवस्था और समय में एक रसूख वाला पद लिए उन्होंने अपना बस कार्यकाल पूरा किया और उनके बाद और भी जो लोग आये उन्होंने भी उम्मीद के विपरीत ही अपनी निष्क्रियता दिखायी।

भारत सरकार ने सईद अख्तर मिर्जा को भी सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के पद का निमंत्रण दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। फिल्म जगत से कोई अनुकूल हस्ती इस पद को सुशोभित करने के लिए नहीं मिली तो तलाश सिनेमा से अलग हटकर कला-साहित्य के माध्यम की तरफ ढूँढ मचायी गयी। आखिरकार लीला सेम्सन के रूप में भारत सरकार को सेंसर बोर्ड का चेयरपरसन मिल गया है। यह चयन कितना सार्थक है, यह देखने-जानने के लिए हमें कुछ समय इन्तजार करना होगा। लीला जी भरतनाट्यम की शीर्ष कलाकार हैं।

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