बुधवार, 27 अप्रैल 2011

तमन्नाएँ, आशा जी और माई फिल्म


आशा भोसले लगभग अस्सी वर्ष की उम्र में एक नयी पारी की शुरूआत करने जा रही हंै। यह पारी है अभिनय की। अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे उनकी दूर की रिश्तेदार हैं। इन दिनों वे हिन्दी-मराठी में फिल्मों का निर्माण किया करती हैं। उनकी भी यह एक अलग तरह की पारी है जो उनके निर्माता पति से अलग है। एक अभिनेत्री के रूप में पद्मिनी का समय बहुत उत्साहजनक नहीं रहा तो बहुत निराशाजनक भी नहीं। शादी के बाद पति टूटू शर्मा के साथ सहयोग करतीं पद्मिनी परदे से दूर हो गयी थीं।

कुछ समय पहले फिल्म निर्माण से उनकी वापसी हुई। प्रतिभाशाली निर्देशक राकेश चतुर्वेदी ने उनको बोलो राम में एक बहुत अच्छी भूमिका दी थी। इस फिल्म में उनकी छोटी मगर केन्द्रित करने वाली भूमिका थी। इस सक्रियता ने उनको फिर अभिनय की तरफ प्रेरित किया मगर फिल्म निर्माण उनकी अभिरुचियों में शामिल रहा। इधर वे आशा भोसले के साथ एक महत्वपूर्ण फिल्म माईं को लेकर चर्चा में हैं। इसका मुहूर्त पिछले दिनों विख्यात निर्देशक यश चोपड़ा की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इस फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता यही थी कि आशा भोसले, फिल्म माई के नाम के अनुरूप केन्द्रीय भूमिका में अपने एक दूसरे आयाम का आरम्भ करने जा रही हैं।

आशा जी के लिए एक भावुक अनुभव, एक पारिवारिक सच यह है कि उनकी माँ को माईं ही कहा जाता था। लता जी, आशा जी, ऊषा, मीना, हृदयनाथ मंगेशकर सभी अपनी माँ को माईं कहते थे। माईं मंगेशकर के नाम से ही वे जानी जाती रहीं। आशा जी इस अनुभूति की भावुकता को इस फिल्म का हिस्सा बनने के साथ से ही जी रही हैं। वे कहती हैं कि अभिनय करने की बात को लेकर उनको अपने मन में किसी भी तरह की परेशानी का अनुभव नहीं हो रहा है, बल्कि वे उत्साहित हैं, इसीलिए यह प्रस्ताव स्वीकार भी किया। माईं, आज के समय में परिवार और अविभावकों की बीच रिश्तों की एक मर्मस्पर्शी कहानी है जिसमें पुत्र-पुत्रियों के दायित्व और संवेदनाओंं की पड़ताल की गयी है। पद्मिनी इस फिल्म में आशा जी की बेटी की भूमिका निबाह रही हैं।

फिल्म की कहानी में एक बुजुर्ग स्त्री जीवन के संध्याकाल में अपने बेटे और बहू की उपेक्षा का शिकार होती है, जिसे आत्मीयता और सम्बल अन्तत: अपनी बेटी से मिलता है। आशा जी ने भारतीय सिनेमा में अपनी सक्रियता की आधी सदी व्यतीत की है। उनकी आवाज की खनक आज भी वही की वही है, जिसका जादू हमेशा सुनने वालों के सिर चढक़र बोलता रहा है। उनके गाने कितने ही आयामों में अपनी अनूठी सम्मोहनीयता रखते हैं। सोचिए, कितना अनुपम अनुभव होगा, उनके मधुर स्वर में संवाद सुनना, उनमें डूबना और उनके स्वर तथा अभिव्यक्त भावों के माध्यम से एक किरदार, माईं को देखना, अनुभूत करना।

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