सोमवार, 4 अप्रैल 2011

सितारों से आगे खिलाडिय़ों का जहाँ.. .. ..


शनिवार की रात देश ने यह प्रमाणित करके रख दिया था कि सितारों से आगे हो चला है अब खिलाडिय़ों का जहाँ। खेल के रोमांच में आठ-दस घण्टे सारी अपरिहार्यता को दरकिनार कर देने वाले असंख्य लोग केवल ही अपेक्षा रखते हैं और वह है जीत, विजय, फतह। यह प्रमाणित होता है कि एक टीम के रूप में एक पूरा देश खेलता है। देश जैसे एक-एक खिलाड़ी ही देह में उतर आता है। वह खिलाडिय़ों के आवेग को भी नियंत्रित करता है और धडक़नों-शिराओं में जोश और ऊर्जा की कमी नहीं होने देता। हार-जीत के फैसले के समय खिलाड़ी ही जैसे देश हो जाते हैं। जब जीत होती है तो हर एक खिलाड़ी, जिसमें देश होता है, अनियंत्रित होकर आकाश में आतिशबाजी की तरह ध्वनि, रोशनी और फैलाव बनकर असाधारण विस्तार ले लेते हैं। आकाश, जमीन से ऊपर निहारते हर इन्सान की खुशी में शामिल होता है, खिलखिलाता है, ध्वनि, रोशनी और फैलाव के साथ।

हमारे देश में सितारों की छबि, उनके द्वारा अर्जित आभामण्डल और प्रभाव के कारण सबसे अलग रही है। खासकर बॉलीवुड में ऐसा होता रहा है। बॉलीवुड के सितारे दक्षिण सहित दूसरी भाषायी फिल्मों के सितारों की तरह उतने खुले और सहज नहीं हैं इसलिए परदे, काँच के स्क्रीन और पत्रिकाओं तथा अखबारों के पन्नों में ही सीमित होकर रह जाते हैं। दर्शक का भी अब उतना आकर्षण ऐसे सितारों के प्रति नहीं रहा। इधर तेजी से भारतीय क्रिकेट के खिलाडिय़ों ने अपनी अदम्य ऊर्जा और अचम्भित कर देने वाले जीवट से पूरे देश को अपना बनाया है। इन खिलाडिय़ों की सितारा छबि, सितारा कलाकारों की सितारा छबि से कहीं ज्यादा आगे है। विज्ञापन फिल्मों में इनका सितारों की बराबरी से होना इस बात को प्रमाणित करता है।

एक तरफ फिल्में फ्लॉप हो रही हैं और फिल्मी सितारे, फिल्म बनाने वाले सब के सब इस खेल से खासे डरे रहते हैं। फिल्म बाजार को सबसे बड़ा खतरा क्रिकेट से ही है। अभी तीन महीने इसी कारण ऐसे बीते हैं। विश्व कप फायनल के दौरान खेल के मैदान की दर्शक दीर्घा से लेकर विजय हासिल होने के बाद दिखायी देने वाले जश्र में जिस तरह से अमिताभ बच्चन, अभिषेक, आमिर खान, शाहरुख, फरदीन, विवेक ओबेरॉय, किरण राव आदि लगातार उपस्थित दीखे, उससे लगता है कि ये सितारे भी अब अपनी सितारा से बढक़र आगे आयी खिलाडिय़ों की सितारा छबि को सेल्यूट कर रहे हैं। सितारा भीड़ में सबसे सहज, सबसे निष्प्रभावी रजनीकान्त लगे जिन्होंने सारा मैच आनंद उठाकर देखा, वे जरूर सारे उल्लेखित सितारों से अलग हैं।

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