मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

स्टेनली का डिब्बा और अमोल गुप्ते


कुछ वर्ष पहले आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर जब प्रदर्शित हुई थी तब उसमें निर्देशक के रूप में आमिर खान का नाम गया था और क्रिएटिव डायरेक्टर के रूप में अमोल गुप्ते का। बहुत से लोग यह जानते थे कि भले ही फिल्म के डायरेक्टर के रूप में आमिर खान का नाम गया हो मगर इस फिल्म की मूल परिकल्पना, लेखक, संवाद और निर्देशन सभी में अमोल गुप्ते का ही प्रभाव था। यह बात अलग है कि सुनिश्चित वजहों के चलते निर्देशन के क्रेडिट को दो धरातलों पर विभाजित कर दिया गया और एक फिल्म की मूल परिकल्पना के पीछे दो नाम आये, एक आमिर का और दूसरे अमोल का।

अमोल गुप्त फिल्म इण्डस्ट्री के लिए नये थे और दर्शक भी उनको उस तरह से नहीं जानते थे इसलिए तारे जमीं पर के समय यह समझौता आसानी से चल गया। अमोल ने इस बात पर सन्तोष कर लिया कि आमिर का हाथ लगे बगैर यह फिल्म न तो इतनी चर्चित हो सकती थी और न ही इस प्रकार दर्शक और समाज को उसके पक्ष में किया जा सकता था। निश्चित रूप से दर्शील सफारी जैसे विलक्षण बाल कलाकार ने इस फिल्म को मनोरंजन के धरातल से एक अलग ऐसे स्थल पर विचारणीय बनाया था जहाँ से हर संजीदा और संवेदनशील इन्सान अपना आत्ममूल्याँकन शुरू करता है। अमोल गुप्ते इस फिल्म को बनाने के कुछ समय बाद ही विशाल भारद्वाज की फिल्म कमीने में नकारात्मक चरित्र के रूप में सामने आये थे। कमीने में उनके किरदार को नोटिस लिया गया, लेकिन तारे जमीं पर का सही और पूरा श्रेय न मिलने की कसक उनमें मन में लगातार बनी रही।

अब जब मालूम हुआ कि अमोल गुप्ते ने अपनी उन्हीं तमाम क्षमताओं के साथ स्टेनली का डिब्बा फिल्म हाल ही में पूरी की है और मई माह के तीसरे सप्ताह में इसका प्रदर्शन होने को है, तो फिल्म को लेकर जिज्ञासा होना स्वाभाविक था। स्टेनली का डिब्बा भी एक अलहदा किस्म के बच्चे की कहानी है जो स्कूल में पढ़ता है। उसकी अपनी बौद्धिक क्षमताएँ और दृष्टि हैं लेकिन साथ-साथ स्कूल में अपने टीचरों रोजी मिस और मिस अय्यर से भी कई सतहों पर उसे जूझना होता है। वर्मा सर उसके जीवन में एक मोड़ लाने का काम करते हैं। वर्मा सर की भूमिका अमोल गुप्ते ने स्वयं निभायी है।

अमोल ने इस फिल्म को लिखा है, निर्देशित किया है, संवाद-पटकथा पर गहरा काम किया है और लगभग उसी ऊर्जा को पूरी छटपटाहट के साथ दोहराने की कोशिश की है जो तारे जमीं पर के वक्त उनके भीतर दब कर रह गयी थी। अमोल गुप्ते, एक अलग माध्यम के सर्जक हैं, उनके काम को पहली बार भी बड़ी गहनता के साथ देखा गया था, उसका आकलन किया गया था। स्टेनली का डिब्बा, उसी तारतम्यता की फिल्म है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

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