स्वस्थ और सुरुचिपूर्ण मनोरंजन के लिए दर्शकों की आँखें तरसा करती होंगी, यह तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि मनोरंजन के नाम पर तमाम चैनल चौबीसों घण्टे बहुत सारा निरर्थक और व्यर्थ की इतनी परोसदारी में लगे रहते हैं कि हमारे जहन में सार्थक ख्याल प्राय: आया ही नहीं करते। जिन्दगी अपनी सहजता में भी बहुत सारी ऐसी परिस्थितियाँ रचती है कि हर इन्सान के जीवन में कोई न कोई कहानी घटित हुआ करती है। एक जमाना था जब टेलीविजन के एक-दो लोकप्रिय चैनल गुजरात प्रान्त के परिवेश, परिवार, समाज और माहौल पर कुछ धारावाहिकों के जरिए बड़ी ऊँचाई पर पहुँच गये लेकिन उन धारावाहिकों से भी आगे निकला, बा बहू और बेबी जैसा सादगी मगर जीवन-रस से भरपूर धारावाहिक।
टेलीविजन में एकाध चैनल ही ऐसा है जिसमें बोधपूर्ण हास्य की प्रस्तुतियाँ आया करती हैं, वहीं तारक मेहता का उल्टा चश्मा चर्चित हुआ और अब एक दूसरे चैनल पर कृष्णाबेन खाकरावाला धारावाहिक की दिलचस्प आमद हुई है। इस धारावाहिक की मुख्य पात्र इन्दिरा कृष्णन ही मुख्य पात्र कृष्णाबेन का किरदार निबाह रही हैं। महत्वपूर्ण यह है कि कम समय में ही यह धारावाहिक लोगों को पसन्द आ गया। खासकर बच्चों को इस धारावाहिक में बड़ा आनंद आ रहा है।
इस धारावाहिक की मुख्य पात्र कृष्णाबेन, यानी दक्षिण भारतीय इन्दिरा कृष्णन ने गुजराती भाषा-बोली और संवाद शैली को जिस तरह अपनी शख्सियत में उतारा है, उसने उनको यकायक एक बड़ी पहचान दी है। वो कहती हैं कि इस धारावाहिक में कृष्णाबेन की कृष्णागीरी इतनी पसन्द की जाने लगी है कि मुझे बच्चे-बड़े बाहर इसी नाम से बुलाने लगे हैं। पत्रिका के पाठकों के लिए खास बात करते हुए इन्दिरा ने कहा कि मैं स्वयं खुश हूँ, एक स्त्री, एक सौम्य-साहसिक किरदार निबाह रही है। चुनौतियों का सामना करने का इस किरदार का ढंग किसी को शर्मिन्दा करना या अपमानित करना नहीं बल्कि भूलों का एहसास कराकर सुधार के रास्ते पर ले जाना है।
इन्दिरा कृष्णन शीर्षस्थानीय भरतनाट्यम डांसर स्वर्गीय सी.पी. सुशीला की बेटी हैं। एक अच्छी अभिनेत्री बनकर अपनी माँ के सपनों को पूरा करने की ख्वाहिशमन्द इन्दिरा चाहती हैं कि यह धारावाहिक दस साल चले। हर्षा जगदीश इस धारावाहिक की कहानी-पटकथाकार हैं और हर्षद जोशी इसे निर्देशित कर रहे हैं। हर्षा और हर्षद मिलकर इस धारावाहिक से हर्षानुभूतिभरा मनोरंजन प्रदान कर रहे हैं। अनेक धारावाहिक और फिल्मों में काम कर चुकी इन्दिरा ने स्वयं अपनी निजी प्रतिभा से ड्रेसिंग सेंस अपने पर लागू किया है, शख्सियत से अभिनय-भाषा सृजित की है, सौम्य हृदय की सोच, परेशानियों का सामना भी मुस्कराकर करने का तरीका, एक तरह का चुलबुलापन इस किरदार में स्थापित करना चाहा है।
दहीसर स्थित अम्बावाड़ी के त्रिमूर्ति स्टूडियो में धारावाहिक की दुनिया बसायी गयी है। इन्दिरा कृष्णन कहती हैं कि जैसे हीरानी की मुन्नाभाई फिल्म अपनी गांधीगीरी से दर्शकों में मनोरंजन का अलग मापदण्ड बनी थी, हर्षद का यह सीरियल भी कृष्णागीरी को अपनी तरह की लोकप्रियता देगा।
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