बुधवार, 22 दिसंबर 2010

महानायकविहीन हिन्दी सिनेमा

अपने समय में सिनेमा के परिदृश्य पर मुकम्मल नजर दौड़ाई जाये तो दिखायी देता है कि कल के नायक आज भले प्रौढ़ हो गये हों और उनमें से भी कई वरीय भले बुढ़ाने की अवस्था की तरफ आ रहे हों लेकिन इनमें से महानायक का आदर और प्रभाव हासिल करने वाला चेहरा यकायक नजर नहीं आता है। यह दशा हिन्दी सिनेमा के साथ ही है अन्यथा खासतौर पर दक्षिण में रजनीकान्त और कमल हसन जैसे महानायक हैं। बंगला, उडिय़ा, गुजराती, असमिया आदि भाषाओं के सिनेमा में नायक चेहरे भी दिखायी नहीं देते। इन भाषाओं में अब प्रतिष्ठित और मूर्धन्य निर्देशक भी नहीं होते।

हिन्दी सिनेमा के अपने संघर्ष हैं। सबसे ज्यादा जोखिम सफलता के हैं। श्रेष्ठता के पैमाने को तो न जाने कब से यहाँ तज दिया गया है। अमिताभ बच्चन के समय से कलाकारों में एक-दूसरे की भूमिकाओं को छाँटने-छँटवाने से लेकर बहुत सी चीजें वक्त-वक्त पर उठी हैं। बच्चन के साथ भी बाद में विनोद खन्ना, शत्रुघ्र सिन्हा जैसे कलाकार काम करने से कतराने लगे थे। शशि कपूर बहुत महात्वाकांक्षी नहीं थे, फिल्में मिला करती थीं तो काम भी किया करते थे। अनिल कपूर, संजय दत्त के समय में संघर्ष अलग-अलग तरहों में बँट गया।

सितारा पुत्र और अपने दमखम पर स्थान बनाने वाले कलाकारों के बीच खटने लगी। उस समय जैकी श्रॉफ जैसे सितारे अपने बलबूते आकर खड़े हुए थे। बाद में जैकी की तरह की शाहरुख आये तो उनकी अपने समकालीनों से खटने लगी। जब हिृतिक ने आकर तूफान मचाया तो सबसे ज्यादा प्रभावित शाहरुख ही हुए। अपने ऐसे ही स्वभाव के कारण वे सुपरफीशियल कलाकार की तरह सबसे अलग-थलग पड़ गये। इस समय उनका चेहरा सबसे ज्यादा तनाव में दिखायी देता है। उनके पास अपने निर्देशक नहीं हैं।

अब हम आज के प्रौढ़ हीरो से लेकर युवा तक, हालाँकि युवा कलाकारों ने अभी तो फिलहाल महानायक होने जैसा कोई काम नहीं किया है, नजर डालें तो देखेंगे कि इनमें से ऐसा कोई कलाकार नजर नहीं आता जिसे महानायक के दरजे या मान पर रखकर देखा जाये। यह विडम्बना ही कही जायेगी कि एक समय दिलीप कुमार, राजकपूर, देवआनंद, धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन आदि के महानायक होने के जायज कारण उनके काम और प्रभाव के कारण दिखायी देते थे पर अब वैसा नहीं है। अब निर्देशक, फिल्म को फिल्म की तरह बनाने में रुचि नहीं रखता और न ही कलाकार, फिल्म को फिल्म की तरह ही लेता है।

इस बड़े निराशाजनक दृश्य में सिर्फ आमिर खान ऐसे कलाकार हैं जो अपने रेंज में असाधारण हैं। लगान के वक्त से उन्होंने अपनी अपीयरेंस को लेकर लगातार चिन्ता की है। निर्माता या अभिनेता, वे जब जिस रूप में उपस्थित हैं, बेजोड़ और सर्वथा श्रेष्ठ हैं, तथापि महानायक उन्हें कहा जाये या नहीं, यह एकदम आसान नहीं लगता पर आने वाले समय में अपनी पीढ़ी में वे पहले महानायक होंगे, यह सच है।

1 टिप्पणी:

ZEAL ने कहा…

Aamir is quite promising indeed.