रंगत कुछ अलग नजर आ रही थी इस बार उनके घर की। जन्मदिन के अलावा भी वक्त-वक्त पर उनके घर जाते हुए, मिलते बात करते हुए शायद अब पन्द्रह से अधिक वर्ष होते आ रहे हैं। बंगले के बाहर तमाम लोग, भीतर भी खूब सारे। बहुत से ऐसे जो उनके प्रिय परिचित बरसों के रिश्तों और अनुभवों से बंधे, अपनी तरह से आ रहे थे, जा रहे थे। इन सबके साथ थे ढेर सा प्रशंसक, मित्रों के साथ, परिवारों के साथ। सभी में गजब का क्रेज। सोफे पर धर्मेन्द्र बैठे हुए। उनके आसपास घेरे बैठे लोग, आगे-पीछे बैठे लोग, जिनको जहाँ जगह मिले, जमे हुए लोग, सब के सब खुश। धर्मेन्द्र सबकी हर आकांक्षा पूरी कर रहे हैं। आटोग्राफ, फोटो जो और जितनी।
बीच-बीच में कई मुरीदों के मोबाइल के कॉलर टोन में, पैंतीस वर्ष पहले की फिल्म प्रतिज्ञा का एक ही सा बजता गाना, मैं जट यमला पगला दीवाना। इसी नाम की उनकी एक फिल्म अगले महीने रिलीज हो रही है 14 जनवरी को। सनी और बॉबी भी साथ में हैं इस फिल्म में। धर्मेन्द्र बताते हैं कि अपने में हम तीनों ने मिलकर परिवारों को खूब भावुक किया था, रुलाया था, अब हमने सोचा, हम तीनों मिलकर, जमकर हँसाते हैं, सो यमला पगला दीवाना आ रही है।
वे कहते हैं कि बहुत प्यारी फिल्म बनी है। अपनी तरह की कॉमेडी है मगर हास्य से भरे दृश्य भी बड़े कठिन। पंजाब से लेकर महेश्वर, मध्यप्रदेश तक इस फिल्म की शूटिंग हुई है। धर्मेन्द्र के लिए विभिन्न फिल्मों में सरदार जी का गेटअप बड़ा लकी रहा है। सनी भी गदर में तारा सिंह बने थे। यमला पगला दीवाना में तीनों का यही गेटअप है। रोचक चरित्रों का निर्वाह किया है और खास बात यह कि इस फिल्म में धर्मेन्द्र की शोले से लेकर प्रतिज्ञा तक सबको, दिलचस्प ढंग से याद किया गया है। प्रतिज्ञा, पिछली सदी में पचहत्तर के साल में खूब हिट हुई थी। यह धरम पा जी की ऐसी फिल्म थी, जो लगभग उन्हीं के इशारे पर चलती है। वे एक ऐसा किरदार हैं जो एक सुदूर गाँव में रोमांस करता है, अपना थाना स्थापित करता है, सिपाही भरती करता है और डाकू खलनायक से दो-दो हाथ करता है।
धर्मेन्द्र पर फिल्माया गाना, मैं जट यमला पगला दीवाना, तब का हिट गाना था जो नायिका हेमा मालिनी के लिए उन्होंने गाया था। धर्मेन्द्र के बंगले पर उनको शुभकामनाएँ देने अनिल शर्मा, नीरज पाठक, वीरू देवगन आदि बहुत से कलाकार-फिल्मकार आये थे मगर टिप्पणीकार की निगाह गयी, बड़े शान्त संजीदा बैठे अर्जुन हिंगोरानी पर। उनको कहा कि 1961 मे दिल भी तेरा हम भी तेरे आपने ही निर्देशित की थी धरम जी के लिए और आज पचास साल हो गये हैं उनको इण्डस्ट्री में। कब क्यों और कहाँ, कहानी किस्मत की आदि और भी धरम-फिल्मों के निर्देशक अर्जुन ङ्क्षहगोरानी की धरम जी से अटूट दोस्ती है, चेहरे पर खुशी और गर्व के भाव लाकर कहते हैं वे, मेरा यार वर्सेटाइल एक्टर है।
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