हिन्दी सिनेमा, बॉलीवुड का सबसे ज्यादा आर्थिक जोखिम से भरा कारोबार बन गया है। बरसों से ऐसा होने लगा है। बहुत सारे जानकार, ज्ञानवान लोग इस बात की तह में जाने की कोशिश करते हैं कि लगातार घाटे, नुकसान और विफलता के बावजूद बॉलीवुड में सिनेमा लगातार इस तादात में, इतने उत्साह के साथ बनता कैसे रहता है, लेकिन आज तक इस रहस्य को कोई नहीं जान पाया। जब से पुराने सिनेमाघर की संख्या घटी है, सिनेप्लेक्स, आयनॉक्स, मल्टीप्लेक्स कल्चर आया है, फिल्मों, खासकर जीवनशैलियों में मानवीय विविधता से भरी फिल्मों का अलग सा ही चलन बढ़ा है। बड़े घरों की शादियों, नाते-रिश्तेदारों की मन:स्थितियों, कुटैव और षडयंत्रों के साथ-साथ शादियों में शामिल रहते हुए तमाम विघ्र डालने के षडयंत्रों और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष फौरी तौर पर बनने-बिगडऩे वाले सम्बन्धों पर फिल्में बन जाया करती हैं, जिनको दर्शक वर्ग अलग सिनेमाघर में बड़ी रुचि से देखता है।
सत्तर के दशक की वापसी और उसकी लगभग सीधी-सीधी टीपने वाली वृत्ति भी दर्शकों में ऐसी हिट हो गयी कि ओम शान्ति ओम से शुरू हुआ सिलसिला दबंग पर जाकर चरम पर पहुँच गया। हाँ, एक्शन रीप्ले और तीस मार खाँ तक आते-आते यह नुस्खा भी अब बेअसर होता दीख रहा है। तीस मार खाँ जरूर सम्हली हुई फिल्म लगती है क्योंकि सोमवार को भी टिकिट खिडक़ी पर भीड़ नजर आयी, जिससे लगता है, बहुत सारे बुरे कयासों के बावजूद फराह खान सुरक्षित सफल हो जायेंगी। यह पूरा साल, कुल जमा तीन फिल्मों के लिए जाना जायेगा जिसकी थ्री ईडियट्स, राजनीति और दबंग प्रमुख हैं। बड़ी सफलताओं में इन फिल्मों का शुमार होने से एक और अच्छी फिल्म अजब प्रेम की गजब कहानी को लोग शायद उतना याद न कर पाएँ मगर फिल्म वह बनी बहुत दिलचस्प थी और राजकुमार सन्तोषी को भी अन्दाज अपना अपना के निर्देशक के रूप में इस फिल्म के बहाने ही सही अच्छे ढंग से याद किया गया था।
कलाकारों में सलमान सर्वाधित सफल और रणवीर कपूर सर्वाधिक फिल्में देने वाले नायक के रूप में याद किए जाएँगे। नायिकाओं में कैटरीना-करीना का ही जोर था। अजय देवगन सिर्फ गोलमाल थ्री का जितना श्रेय अपने लिए ले सकें, ले सकें वरना राजनीति में वे अपने आपको ठगा महसूस करते रहे और टूनपुर में भी उनका धन डूब ही गया। इस साल को हम दो विचित्र नामों वाली फिल्मों बदमाश कम्पनी और लफंगे परिन्दे के लिए भी जानेंगे।
यह साल अनुषा रिजवी की पीपली लाइव की सुर्खियों और सफलताओं का भी है, जिसने छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में एक छोटे से घर में रहने वाले लोक कलाकार ओंकारदास मानिकपुरी को वल्र्ड फेम सितारा बना दिया। ओंकारदास, अपने उस हाथ को सहलाते हुए, जिस पर आमिर ने अपना हाथ रखा था, कहते हैं, आमिर बोले, तुम तो कमाल के एक्टर हो, मेरा रोल ही ले लिए..।
इसी साल डी. रामानायडू को फाल्के अवार्ड मिला, वहीं नलिनी जयवन्त जैसी वरिष्ठ अभिनेत्री जाते साल में नहीं रहीं।
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