शिल्पा शेट्टी की नाराजगी हो सकता है, मीडिया के प्रति अब कम हो गयी हो। वैसे वे सहज और हँसमुख हैं, मसलों को ज्यादा तूल नहीं देतीं। अपनी हँसी और समझदारी से कठिनाइयों का भी निवारण कर लेती हैं। रिचर्ड गैरे ने एक कार्यक्रम में अकस्मात जब उनको लगभग बुरी तरह भींच कर चूम लिया था, तब भी क्षण भर को हतप्रभ होकर वे हँसने ही लगी थीं। बाद में इस घटना को भी उन्होंने सहज बताया, भले ही मीडिया ने उसको खूब प्रचारित किया, चैनलों ने उसके लाखों री-प्ले किए। विषय ने जब शिल्पा की तरफ से ही उसको तत्परता से ठण्डा होते देखा तो दो-एक दिन खबरे चल-चला के बात खत्म हो गयी।
मीडिया का मसला ऐसा ही है। वह सार्वभौम है, हर जगह उपस्थित और कायम। ऐसी तमाम जगहों पर जहाँ परिन्दा भी पर नहीं मार सकता, वहीं मीडिया की उपस्थिति हो सकती है, कैसे, यह शोध और जिज्ञासा का विषय है। खबरें तो उस बंगले के ड्राइंग रूम से भी निकलकर बाहर आ जाती हैं, जहाँ परिन्दा भी पर नहीं मार सकता। बात हो सकता है, घरेलू स्तर पर चर्चा के दायरे में आती हो मगर उसका बॉक्स बन जाता है। हिन्दी सिनेमा के महानायक सबसे ज्यादा परेशान मीडिया से रहा करते हैं। बेटे के ब्याह में उन्होंने मीडिया तो खैर छोडि़ए कई अपने खास मित्रों शुभचिन्तकों को ही नहीं बुलाया, लेकिन मीडिया ही से वैवाहिक रस्मों के फोटो और दृश्य बाहर आये। मीडिया ने ही इस बात की चिन्ता भी की कि जूनियर बच्चन के परिवार में नयी खुशी कब आयेगी, इस पर भी बिग बी खिन्न रहे। एकाध बार उन्होंने अपने ब्लॉग में यह सब लिखा भी कि मीडिया उनके परिवार के पीछे पड़ा है।
अब एक बार फिर मीडिया से इस बात की खबरें प्रचारित हैं कि ससुर और बहू में परस्पर खिन्नता या खटकने की स्थितियाँ बनी हैं। इसका कारण है मधुर भण्डारकर की नयी फिल्म जिसमें ऐश्वर्य मुख्य भूमिका निबाहने जा रही हैं। जिस तरह की फिल्म की स्क्रिप्ट है उसको देखकर लगता है कि शायद ऐश्वर्य को किरदार के अनुरूप ग्लैमरस दिखना पड़े जो परिवार को कभी पसन्द न आये शायद सो बिग और जूनियर दोनों बी ने इस मसले पर उनसे चर्चाएँ की हैं। ऐश्वर्य के अपने कमिटमेंट निर्देशक के संग हैं। मधुर भी परफेक्शनिस्ट हैं वे अपनी फिल्म के अनुरूप ही काम करेंगे। हालाँकि यह भी एक बात है कि क्या मधुर में इतना दुस्साहस है कि वे बड़े बच्चन की इच्छा के खिलाफ उस तरह का काम ऐश्वर्य से ले पायें जो अपेक्षित है?
गूढ़ प्रश्र हैं, इनका उत्तर वक्त ही बताएगा। मीडिया की सुचिन्तित दृष्टि के पीछे अपने लक्ष्य और आज के स्थापित किए हुए सिद्धान्त हैं, नयी पीढ़ी इस समूचे समय को अपनी तरह से देख और बरत रही है, सो दिखायी देने वाला परिदृश्य और दृश्य दोनों, दुतरफा प्रभाव के साथ भी प्रकट होंगे, आखिर अदृश्य उपस्थिति और आकलन की सुर्खियों पर निर्भर भी तो बहुत कुछ है।
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