सूर्योदय का अस्तित्व पूरब दिशा से ही जुड़ा है। हालाँकि ऐसा कभी नहीं हुआ कि सूरज, पूरब दिशा के बजाय किसी और दिशा से उदित हुआ हो फिर भी बड़े विस्मय से भरी चीजों के लिए सूरज के पश्चिम से उदय होने का उदाहरण दिया जाता है। मायानगरी में अक्सर बड़े अचम्भे हुआ करते हैं। अच्छा काम करने वाले अच्छे माने जाते हैं तो कई बार अच्छा काम करने वालों का काम ही खारिज कर दिया जाता है और वह हादसे से जूझता हुआ अपना विफल आकलन करता रह जाता है।
कई बार व्यर्थ का काम ही सिर चढक़र बोल जाता है तो भी लोग चकित रह जाते हैं। किस्मत का फैसला फिल्म जगत में जितने ज्यादा आश्चर्य के साथ हुआ करता है, उसके तो न जाने कितने उदाहरण होंगे। इधर अभिनेता तुषार कपूर और उनकी बहन एकता कपूर जनता के फैसले से चकित हैं। उनके सारे ताजे काम विफल साबित हो गये हैं। बहन एकता ने टीवी सीरियलों में अज्ञात कारणों से हासिल की सफलता का इतना सुख भोगा, इतनी सम्पन्नता देखी कि उनका मन सीरियलों से कमाये लाभ को फिल्म बनाकर और भी कई गुना ज्यादा में तब्दील करने का मन हो गया।
यह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है कि आधा दरजन सीरियल किसी निर्मात्री के चैनलों पर चल रहे हैं, उनकी दिन रात शूटिंग चल रही है। एक ही कलाकार अनेक जगह काम आ रहे हैं, एक सा सेट और सामान, लोकेशन आंशिक परिवर्तन के बाद ज्यों की त्यों इस्तेमाल हो रही है। अनेक तरहों से बचत है और अनेक तरहों से लाभ हैं। इस तरह एकता की बालाजी टेलीफिल्म्स ने अपना अर्जित किया बहुत सा फिल्म निर्माण में लगाया। व्यर्थ की फिल्में बनायीं और नये जमाने के अपराधों को केवल सनसनी के लिहाज से, समाधान के लिहाज से नहीं, माहौल का लाभ लेने के लिए इस्तेमाल किया। टीवी धारावाहिक निर्माण से पराभव और फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विफलता लगभग एक साथ शुरू हुई हंै।
सनसनी और सुर्खियों से हाइप खड़ा करने का फौरी लाभ लेने तक ही अपने काम को लेकर गम्भीर नजर आने वाली एकता को शायद अब एकला चलो रे की स्थितियों में आना पड़े। छोटे परदे के वे सारे सितारे जो कभी एकता के एक इशारे को अपना अहोभाग्य समझते थे, हिचकोले खाते जहाज से कूद गये हैं। एकता इस बदले हुए समय में फिर से आजमाइश करने की कोशिश कर रही हैं मगर सच यह है कि उनके निर्णय, उनकी पहल को समय लगातार खारिज कर रहा है।
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