सोमवार, 20 दिसंबर 2010

स्मृति-शेष विजय जाधव

पुणे में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के, दुर्लभ फिल्मों के संग्रहालय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के निदेशक विजय जाधव का अकस्मात् निधन एक ऐसे युवा अधिकारी की क्षति है जिनकी उम्र कुल 43 वर्ष थी। गोवा में अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के आयोजन के स्थायी संयोजक और निदेशक मनोज श्रीवास्तव ने बड़े शोक में इस दुखद खबर की चर्चा की। आमतौर पर हम अपने आसपास ऐसे अफसरों को बहुसंख्य तादात में देखते हैं क्रीज़ और क्रेज़ के बीच बड़े कठिन असमंजस में जि़न्दगी के साथ एक तरह से व्यतीत होते हैं। ऐसे बहुसंख्य अफसरों के बीच यह युवा भारतीय सिनेमा की 2013 में आने वाली शताब्दी के लिए बड़ी रुचि और गम्भीरता से उल्लेखनीय तैयारियाँ करने में जुटा था।

राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के अधिकारी और कर्मचारी कहते हैं कि जाधव जी में अफसरी बिल्कुल नहीं थी। वे मित्र की तरह हमारे साथ होते थे और परिवार की तरह जोडक़र रखते थे। केमिकल इंजीनियर विजय जाधव सूचना एवं मंत्रालय की सेवा में 94 में आये थे। विजय जाधव आकाशवाणी, दूरदर्शन और प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो में विभिन्न पदों पर रहे। उन्होंने लोक सूचना अभियान के व्यापक फैलाव में महाराष्ट्र के 28 जिलों सहित बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और गुजरात में उल्लेखनीय काम किया। वे 2008 की पहली अप्रैल को फिल्म आर्काइव के निदेशक पद पर नियुक्त हुए थे।

वे अब तक के ऐसे सबसे युवा निदेशक थे जिन्होंने आर्काइव के कायाकल्प की बड़ी योजना पर काम शुरू किया। ऐसे समय में जब देश का महालेखा परीक्षण संस्थान, आर्काइव समेत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तमाम संस्थाओं को हर साल बन्द कर दिए जाने की सिफारिश करता हो, विजय जाधव ने अपनी संस्था मे प्राण फूँकने की पहल शुरू की। उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार में संग्रहीत हजारों दुर्लभ फिल्मों को डिज़ीटल फार्मेट में सुरक्षित और संरक्षित करने का अभियान शुरू किया।

अब तक आर्काइव, पुणे में हर साल जिस तरह एक माह का फिल्म रसास्वाद पाठ्यक्रम आयोजित किया करता था, उसकी ही तर्ज पर लघु फिल्म एप्रीसिएशन कोर्स उन्होंने पुणे के बाहर देश भर के प्रमुख नगरों में आयोजित किए जाने की पहल की। खास बात यह भी थी, कि उन्होंने रीजनल फिल्म एप्रीसिएशन कोर्स की परिपाटी की शुरूआत करनी चाही।

विजय जाधव सांस्कृतिक अभिरुचियों के व्यक्ति थे, एक प्रतिभाशाली तबला वादक के रूप में उनकी ख्याति थी जिन्होंने उस्ताद अल्लारखा से तबला वादन की शिक्षा बड़ी छोटी उम्र में प्राप्त की थी। विजय जाधव का निधन इसलिए और व्यथित करता है क्योंकि वे एक स्वप्रद्रष्टा और संजीदा व्यक्ति थे। उनके जीते-जी, फिल्म आर्काइव में तकनीकी संसाधन और उपलब्धता के आधार पर जिस तरह फिल्मों के संरक्षण का काम शुरू हुआ है, निश्चित ही दो साल बाद वह अंजाम को प्राप्त होगा, जब हम सिनेमा की शताब्दी मना रहे होंगे। विजय जाधव ऐसे वक्त में बहुत याद आयेंगे। श्रद्धांजलि।

2 टिप्‍पणियां:

केशव आचार्य ने कहा…

सादर...स्मृति शेष रह जाएगें

ZEAL ने कहा…

श्रद्धांजलि।