शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

पीपली लाइव के नत्था से विशेष इंटरव्यू

वर्षों पहले जब हबीब तनवीर का छत्तीसगढिय़ा नाचा ग्रुप कुछ बुजुर्ग कलाकारों के इस दुनिया से चले जाने के बाद टूटता सा लग रहा था, उस वक्त ग्रुप में छत्तीसगढ़ी मूल के ही कुछ नये कलाकारों की आमद हुई थी। भारत भवन के अन्तरंग में ऐसे ही एक समय बाद का आगरा बाजार नाटक देखने का अवसर आया। नाटक में वे सब भूमिकाएँ जो भुलवाराम यादव, गोविन्द निर्मलकर, रामचरण निर्मलकर करते थे, उनकी जगह युवा कलाकार दिखे। तब न जाने क्यों ऐसा लगता था कि हबीब साहब की प्रस्तुतियों में कलाकारों के सर्जनासमृद्ध तेवर पहले दिखायी देते थे, वे अब नहीं दीख रहे। उन युवा कलाकारों में, जो जमने के जतन में थे, एक कलाकार ओंकारदास माणिकपुरी भी था, जो तब बाइस-तेईस साल का युवा था। हबीब साहब ने उसको बड़े भरोसे अपने थिएटर में लिया था। तब छोटी-छोटी भूमिकाएँ करने वाला ओंकारदास नया थिएटर का अब सबसे चर्चित कलाकार है। वह आमिर खान प्रोडक्शन की चर्चित फिल्म पीपली लाइव में नत्था की भूमिका में ऐसा प्रसिद्ध हो गया है कि हर जगह उसका चर्चा है। इधर दिवंगत हबीब तनवीर के नया थिएटर ग्रुप में सबसे चर्चित नाटक चरणदास चोर का चोर भी वह है, जिसे पहले गोविन्द निर्मलकर, दीपक तिवारी, चैतराम यादव अदि किया करते थे। ओंकारदास ऐसा रंगप्रतिबद्ध है कि इस नाटक के कुछ निरन्तर शो के कारण ही उसने नसीर के साथ एक फिल्म के अवसर के लिए विनम्रतापूर्वक क्षमा मांग ली।

भोपाल और हबीब तनवीर, सर्जना और सक्रियता के पर्याय रहे हैं। उनका घर भी यहीं श्यामला हिल्स में है जहाँ अब उनकी बेटी नगीन तनवीर रहकर ग्रुप चलाती है। देश भर में नया थिएटर के नाटक हुआ करते हैं मगर धुरि भोपाल ही है। सांस्कृतिक यात्रा चलती रहती है मगर सब लौटकर भोपाल ही आते हैं। दिल्ली की टीवी पत्रकार अनुषा रिजवी की कहानी पर पीपली लाइव फिल्म बनाने वाले निर्माता-अभिनेता आमिर खान ने अनुषा को निर्देशन का दायित्व भी सौंपा मगर फिल्म पर निगाह पूरी रखी। अनुषा ने ही फिल्म की पटकथा और संवाद भी लिखे हैं। एक बार जब भोपाल में प्रकाश झा की राजनीति फिल्म का जोर चल रहा था, उनके कैटरीना, रणबीर, नाना, अर्जुन रामपाल और नसीर जैसे कलाकारों के आने-जाने की खबरें अखबार में नुमायाँ होती थीं, अचानक एक दिन खबर आयी कि आमिर खान रात के जहाज से अचानक भोपाल आये और सीधे भोपाल से सत्तर किलोमीटर दूर उस बड़वई गाँव में जाकर रात भर रहे जहाँ फिल्म की शूटिंग चल रही थी। आमिर फिर सुबह वहीं से सीधे भोपाल हवाई अड्डे आये और मुम्बई चले गये।

ओंकारदास माणिकपुरी, पीपली लाइव के मुख्य कलाकार हैं। उनके बड़े भाई की भूमिका रघुवीर यादव ने की है। यह एक ऐसे भूमिहीन गरीब परिवार की कहानी है जिसमें बड़ा भाई अविवाहित है और छोटा भाई विवाहित, बाल-बच्चेदार। घर में बुजुर्ग अम्माँ भी है। मेहनत-मजदूरी से जैसे तैसे घर की रोटी चलाने वाले दोनों भाई काम से रात को लौटते हुए कई बार ठगिनी का मजा भी लेते हुए घर आते हैं। ठगिनी, शराबनोशी का पर्याय है जो मुंशी प्रेमचन्द की कहानी कफन से अभिप्रेरित है। कर्ज से लदे और चुकाने में नितान्त असमर्थ, नत्था और उसका बड़ा भाई ऐसे ही खेत में बैठे अपनी जिन्दगी की विडम्बनाओं का चिन्तन कर रहे होते हैं। उनको इस बात की खबर होती है कि सरकार उन किसानों का कर्ज माफ करना चाहती है जिन्होंने आत्महत्या कर ली है। दोनों की बातचीत इसी को लेकर है। बड़ा भाई कहता है कि मैं आत्महत्या कर लूँ क्योंकि मेरे न कोई आगे है, न पीछे। मगर छोटा भाई अपना कर्तव्य निभाना चाहता है, वह भाई से कहता है, आप क्यों करोगे आत्महत्या, मैं ही न कर लूँ। इस पर बड़ा भाई कूटनीतिक उत्तर देता है, ठीक है, तू ही कर ले आत्महत्या। शाम को शराब के नशे में लौटते हुए एक परचून की दुकान में बीड़ी-माचिस मांगते हुए नत्था कह देता है कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूँ। यहीं से सनसनी बनती है। कर्ज से निजात पाने के लिए नत्था मरना चाहता है। एक टीवी पत्रकार यहाँ से खबर को ले उड़ता है।

पूरे देश में नत्था के मरने की बात की खबर फैल गयी है। अलग-अलग राजनैतिक दलों और उसके नेताओं, छुटभैयों द्वारा मुद्दा गरमा दिया जाता है। एक कहता है कि नत्था मरेगा, मर के रहेगा और दूसरा कहता है, नत्था नहीं मरेगा। पीपली गाँव में देश का मीडिया आकर इक_ा हो गया है। नत्था का छोटा सा घर घेर लिया गया है। नत्था, सरकार और पुलिस की कड़ी निगरानी में आ गया है। वह पाखाने के लिए भी जाता है तो साथ में चार सिपाही जाते हैं। नत्था और उसके परिवार की क्या जरूरतें हैं, वो सब पूरी की जा रही हैं। हेडपम्प, टीवी पता नहीं क्या कुछ लाकर उसके घर में पटक दिया गया है। उसकी पत्नी, बच्चे और बूढ़ी अम्माँ हतप्रभ हैं। बड़ा भाई सोच रहा है कि अचानक देखते ही देखते दुनिया कितनी बदल गयी है मगर सब के सब डरे हुए हैं। अभाव में जीवन कठिन था मगर किसी तरह जिया जा रहा था, अब सब सजग निगाहों और देखरेख में है, उठना-बैठना, खाना-सोना दूभर है। इन्टरव्यू हो रहा है, सवाल-जवाब हो रहे हैं। पीपली गाँव पूरे देश से जुड़ गया है। क्रान्तिकारी टीवी रिपोर्टर पल-पल की खबर सबको दे रहे हैं। खबरें दोहरायी-चौहरायी जा रही हैं।

ओंकारदास माणिकपुरी, नत्था की अपनी भूमिका को अपने लिए किसी चमत्कार से कम नहीं मानते। पीपली लाइव प्रदर्शित होने को है। इस नत्था की दुनिया सचमुच, वाकई फिल्म प्रदर्शन के बाद कुछ और हो जाएगी। ओंकारदास, को उस बाद की कल्पना है मगर वह अपनी सहजता और सादगी को खोने वाला आदमी नहीं लगता। पीपली लाइव, नत्था के किरदार और फिल्म की तमाम बातें उससे अपने घर में करते हुए लगातार ऐसा लग रहा था, कि बात बेहद जमीनी आदमी से हो रही है। वह कहता है कि सबसे पहले वह थिएटर का है, सिनेमा फिर उसके बाद में है। वह मरहूम हबीब तनवीर को याद करता है। बताता है कि हबीब साहब ने जब हमको खूब सारा आजमा लिया था, तब एक दिन कहे थे कि तू चोर की तैयारी कर। तब तक चैतराम यादव, चरणदास में चोर कर रहा था। एक बार चैतराम अचानक इस काम के लिए उपलब्ध नहीं हुआ तो फिर ओंकारदास माणिकपुरी ने यह काम सम्हाला। हालाँकि ओंकारनाथ को दुख है कि हबीब साहब उसे मँझा हुआ चोर नहीं देख पाए लेकिन अब मनोयोग से वह चरणदास चोर के किरदार में उतर गया है। उसने बताया कि एक फिल्म का बुलावा था मगर उस समय शो चल रहा था, मैं कह दिया, थिएटर से दगा नहीं करूँगा।

अनुषा रिजवी और उनके पति महमूद रिजवी का ओंकारदास धन्यवाद करते हैं जिन्होंने नत्था की भूमिका के लिए उसका चुनाव किया। बड़े खुश होकर, दिल खोलकर वह बतलाता है कि फिल्म शुरू होने के पहले आमिर खान साहब से पहली बार मुम्बई में उनके घर में जब मिलवाया गया तो पहले वह एक कमरे में बैठा था, फिर अचानक आमिर कमरे में दाखिल हुए और हाथ मिलाकर कहा, अरे तुमको बधाई, नत्था का रोल कर रहे हो। यह रोल तो मैं खुद करना चाहता था मगर तुमको मिला है तो अच्छे करना, जाहिर है करोगे ही। भोपाल में जब ओंकारदास से बातचीत हो रही थी, उसके कुछ दिन पहले ही वह आमिर और अनुषा के साथ संदान फेस्टिवल में अमेरिका होकर आया था। वहाँ पीपली लाइव को खूब सराहा गया। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में आंचलिक संस्कृति और लोकमंच से एक साधक की तरह जुडक़र काम करने वाला पीपली लाइव का नत्था, ओंकारदास अब हिन्दुस्तान में फिल्म के प्रदर्शन की तारीखें नजदीक आते-आते बार-बार फ्लाई करके मुम्बई जाता है। किस्मत ने भले उसकी जिन्दगी में पंख लगा दिए हों मगर यह कलाकार अभी भी जमीन से जुड़ा ही दिखायी देता है।

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