मंगलवार, 31 अगस्त 2010

मनमोहन लड्डू गोपाल

मनमोहन लड्डू गोपाल
लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया

मन की छबियों में
तुम्हारा मोहक रूप
गहरे अंधेरे को करती
तुम्हारी भक्ति की धूप

हमने तुम्हारे सम्मोहन में
स्वर्ग अपना पाया
मनमोहन लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया

तुम्हारी नन्हीं मुस्कान का
वर्णन करूँ मैं कैसे
नयनों में छिपी दुनिया का
सिरजन करूँ मैं कैसे

एकटक तुम्हें निहारते
जीवन का मर्म पाया
मनमोहन लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया......

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