मनमोहन लड्डू गोपाल
लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया
मन की छबियों में
तुम्हारा मोहक रूप
गहरे अंधेरे को करती
तुम्हारी भक्ति की धूप
हमने तुम्हारे सम्मोहन में
स्वर्ग अपना पाया
मनमोहन लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया
तुम्हारी नन्हीं मुस्कान का
वर्णन करूँ मैं कैसे
नयनों में छिपी दुनिया का
सिरजन करूँ मैं कैसे
एकटक तुम्हें निहारते
जीवन का मर्म पाया
मनमोहन लड्डू गोपाल
तुम्हारा जन्मदिन आया......
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