हम दोनों 1960 के दशक की फिल्म थी। इसका प्रदर्शन काल 61 का है। नवकेतन के बैनर पर अमरजीत ने इस फिल्म को निर्देशित किया था। हम दोनों की स्क्रिप्ट विजय आनंद ने लिखी थी जो देव के छोटे भाई थे जो आगे चलकर उनकी कई महत्वपूर्ण फिल्मों गाइड, तेरे मेरे सपने आदि के निर्देशक भी हुए।
देव आनंद की यह दोहरी भूमिका वाली फिल्म थी जो एक ही कर्तव्य भूमि पर काम करने वाले दो देशभक्तों के जीवन को बड़ी गहराई से देखती है। नैतिकता और अन्तद्र्वन्द्व के जो सशक्त दृश्य इस फिल्म में हैं वे मन को गहरे छू जाते हैं। आज इस फिल्म की चर्चा करना यों भी समीचीन लगा क्योंकि इस फिल्म को भी मुगले आजम और नया दौर की तरह रंगीन कर दिया गया है और दोबारा प्रदर्शित किए जाने की तैयारी है।
दो देशभक्त सैनिक कैप्टन आनंद और मेजर वर्मा हमशक्ल हैं। दोनों ही वीर-साहसी और युद्धभूमि पर अपना कौशल दिखाने वाले। मेजर आनंद, मीता से प्यार करता है जिसकी भूमिका साधना ने निभायी है दूसरी तरफ रूमा मेजर वर्मा की पत्नी है जिसको अपने पति का इन्तजार है। नंदा रूमा की भूमिका में हैं। मेजर की वयोवृद्ध, बीमार माँ भी उसका रास्ता अपने आखिरी दिनों में देख रही है।
देश एक युद्ध का सामना करता है और खबर फैलती है कि इसमें मेजर की मौत हो गयी। घटनाक्रम कुछ इस तरह होते हैं कि कैप्टन आनंद, मेजर वर्मा के घर पहुँच जाता है। कहानी यहाँ बहुत जटिल हो जाती है। कैप्टन आनंद के सपनों और जीवन में मीता है, यहाँ उसे रूमा अपने पति के रूप में देखती है। द्वन्द्व और असमजंस के बीच नैतिकता और परिस्थितियों में अपनी यथास्थिति के कठिन पलों को कैप्टन आनंद जीता है।
इसी बीच एक दिन मेजर वर्मा अपने घर लौट आता है। दोनों ही किरदारों के आमने-सामने के दृश्य बहुत कसे हुए हैं। दोनों के बीच नैतिकता और आदर्श को लेकर परस्पर सवाल और कड़ी बहसें होती हैं मगर सचाई यह है कि कैप्टन आनंद ने भी अपने जीवन को बेदाग रखा है। जटिल परिस्थितियों में भी अपनी और रूमा की रक्षा की है। दोनों ही भूमिकाएँ देव आनंद ने निभायी हैं।
साहिर लुधियानवी ने इस फिल्म के खूबसूरत गीत लिखे हैं जिनमें मुख्य रूप से, मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया और अल्ला तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम, अभी न जाओ छोडक़र आज भी याद रहते हैं। जयदेव ने फिल्म के गीतों की मधुर संगीत रचना की है। लीला चिटनीस की निभायी माँ की भूमिका में ममता और बेटे के इन्तजार का विलक्षण जज्बा उनकी आँखों में देखा जा सकता है। हम दोनों को देखना, अपने अनुभवों में संवेदना का पुनस्र्पर्श और रोमांच को अनुभूत करने जैसा है।
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