मैं तुम्हारे जागने का
इंतज़ार करता हूँ
बड़ी तत्परता से
अपनी अनकही को
कविता बनाता हूँ
तुम्हारे लिए......
मैं तुम्हारी मेज़ पर
बीचों-बीच रखकर जाता हूँ
अपना पन्ना
कि
तुम्हें दिखाई दे जाए
जब तुम आकर
बैठ जाओ
मैं सो रहा होता हूँ
ठीक तुम्हारे जागने के वक्त
नींद में मुझे
तुम दिखाई देती हो
मेरी कविता पढ़ते हुए
जो तुम्हारे लिए.....
मुड़कर तुम मुझे
सोया देखती हो
जाने कि
हँसती हो
देखकर मुझे.....
2 टिप्पणियां:
संकेत गहरे हैं. बहुत सुन्दर.
आपका सुझाया रास्ता, चल पड़े हैं, ब्लॉग बनाकर। साथ बने रहिएगा।
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