पिछले दिनों जब रानी मुखर्जी और विद्या बालन की फिल्म नो वन किल्ड जेसीका का प्रचार-प्रसार किया जा रहा था तब इस बात पर खास जोर दिया जा रहा था कि दोनों के बीच रिश्ते अच्छे हैं, सामान्य हैं, किसी तरह का विवाद नहीं है, वगैरह, वगैरह। जहाँ-जहाँ दोनों का जान होता था, इस बात पर खास अलग से सवाल होते थे और दोनों की तरफ से जवाब भी दिए जाते थे। जवाब भी जाहिराना तौर पर तयशुदा होते थे। दोनों ही अभिनेत्रियाँ साथ-साथ मुस्कराते हुए आती थीं, बैठती थीं, बात करती थीं और खासतौर पर दोनों एक-दूसरे की जमकर तारीफ भी करती थीं। कई बार लगता है कि इस तरह के खुलासे की जरूरत किसी वक्त में क्यों पड़ती है।
यह सम्भव है कि जब यह फिल्म बन रही हो उसके पहले काम करने वाली दो अभिनेत्रियों के रिश्ते कुछ और हों। रानी मुखर्जी स्वाभाविक रूप से बड़ी और वरिष्ठ कलाकार हैं और विद्या बालन उनसे कम अनुभवी। रानी को बड़े संघर्षों के बाद आगे की श्रेणी मिली है और विद्या को पहली फिल्म परिणीता से चर्चाएँ मिल गयीं। दोनों के अपने-अपने लिए खड़े किए गये अलग-अलग स्वाभिमान हैं। यह फिल्म एक विवादास्पद विषय पर थी, सच्ची घटना से प्रेरित थी और निर्देशक के पास अपनी दक्षता और सूझ के अलावा अपने आपको प्रमाणित करने का एक और कारण यही था कि वे कलाकार नामचीन लें। इस फिल्म में कोई नायक नहीं है जिसको पहचाना या याद किया जा सके।
रानी और विद्या की अपनी सितारा छबियाँ हैं, हालाँकि दोनों ही इस समय मुकम्मल संकट से जूझ रही हैं। रानी की पिछली पेशकश दिल बोले हडि़प्पा विफल रही वहीं विद्या भी इस बीच कोई बड़ा काम न कर पायीं। नो वन किल्ड जेसिका, दोनों को ही उस तरह से महत्वपूर्ण लगी होगी, कि उनको फिलहाल सुर्खियाँ मिल जाएँ। किसी बड़ी सुपरहिट की उम्मीद उनको भी न होगी। बहरहाल फिल्म को चर्चा मिली, सफलता बहुत नहीं मिली मगर तार्किक रूप से प्रेक्षकों ने फिल्म को सराहा। यह खुशकिस्मती विद्या और रानी दोनों की है कि दोनों एक अच्छी फिल्म का हिस्सा बनीं। यह प्रश्र इस फिल्म के साथ ही फिलहाल धूमिल हो जायेगा कि बाद में उनके रिश्ते कैसे रहे या रहेंगे।
इतना जरूर है कि इस फिल्म के पक्ष में दोनों ने जमाने के सामने परम मित्रता के नाम पर खूब गलबहियाँ कीं और अपने अच्छे रिश्तों की पुरजोर वकालत की। जाने क्यों अपने काम के पक्ष में इस आयाम को स्थापित करने के पीछे कारण क्या होते होंगे? पता नहीं क्यों मित्रता से ज्यादा उसके दिखावे की अब जरूरत पडऩे लगी है।
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