चरित्र अभिनेता अवतार कृष्ण हंगल की आर्थिक कठिनाइयों को लेकर प्रकाशित और प्रसारित समाचार ने उसी प्रश्र को फिर हरा कर दिया है। हंगल साहब ऐसे पहले व्यक्ति नहीं हैं, उनसे पहले भी बहुत सारे सितारे, अभिनेत्रियाँ, नामी चरित्र कलाकार दुखदायी उत्तरार्ध का शिकार हुए हैं। ऐसा बहुत कम होता है जब कलाकार के जीते जी समाज चेतता हो, वरना खबरें तब आती हैं जब लम्बी बीमारी, कई दिनों की भूख और उपेक्षा के बाद कलाकार दुनिया से रुखसत हो लेता है।
हंगल साहब लम्बे समय से बीमार हैं, फिर भी उनका आत्मबल मजबूत है, पिन्च्यानवे वर्ष की उम्र में भी सोच और दृष्टि वृद्ध नहीं हुई है। टेलीविजन के एक समाचार चैनल पर बात करते हुए उन्होंने किसी के प्रति कोई शिकवा नहीं किया, किसी के लिए भला-बुरा नहीं कहा, जबकि बात करने वाले चैनल के प्रतिनिधि उनके मुँह में ऐसे सवाल भेज रहे थे कि व्यथित और असंयत व्यक्ति कुछ न कुछ बोल जाये। उन बेचारों से यह भी पूछा गया कि आपको देखने जय-वीरू नहीं आये। इशारा शोले के कलाकारों अमिताभ और धर्मेन्द्र को लेकर था मगर हंगल साहब ने मुस्कराकर नहीं में इशारे से सिर भर हिलाया। ऐसे सवाल करने वाले यह भी नहीं सोचते कि किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे सहृदयता और आत्मीयता के माध्यम से ही सार्थक मदद हो सकती है, उसके मुँह से बुरे-भले शब्द क्यों निकलवाए जाएँ?
सृजनात्मक और रचनात्मक माध्यमों में अधीर और जानकारीविहीन पीढ़ी ऐसी लापरवाहियाँ प्राय: किया करती है। अच्छा स्पेस और बड़ा कैनवास कई बार निरर्थक स्थापनाओं पर खर्च होता दीखता है। निश्चय ही अवतार कृष्ण हंगल असाधारण जीवट वाले कलाकार हैं। उनका यश भी उन थोड़े अभिनेताओं में से है जो सौ साल के होते सिनेमा में सौ साल की उम्र के नजदीक हैं। निश्चय ही वे हमारी धरोहर भी हैं। यह दुखद है कि उनका बेटा, यद्यपि वो भी वृद्ध और बीमार हैं, यह कहता है कि उनके लिए पिता का इलाज करा पाना सम्भव नहीं है। आमिर खान, हंगल साहब की मदद करेंगे, यह बोध आज के समय में महत्वपूर्ण है। हंगल साहब, हिन्दी सिनेमा में सदा उपस्थिति वाले कलाकार रहे हैं जिनकी सक्रियता ने उनकी स्मृति को कभी भी हमारे जेहन से लोप नहीं होने दिया। भूमिकाएँ भले छोटी हों, पर काम की निरन्तरता बनी रही। सभी बड़े निर्देशकों के साथ उन्होंने काम किया। ऋषिकेश मुखर्जी की बावर्ची सहित अनेक फिल्मों के साथ बासु चटर्जी की शौकीन और राजेश खन्ना के साथ उनकी एक उल्लेखनीय फिल्म अवतार भी यहाँ याद आती है।
ईश्वर उनको स्वस्थ और दीर्घायु करें, यही प्रार्थना है। सिनेमा के प्रति अपने लगाव और सिनेमा के स्वर्णयुग के ऐसे प्रतिनिधि कलाकारों के प्रति अपने विनम्र आदर के साथ, हंगल साहब के चरणों में अपने इस स्तम्भ का एक माह का मानदेय सादर अर्पित करता हूँ।
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