रविवार, 12 जून 2011

बच्चन साहब, आरक्षण और बुड्ढा होगा.....


अमिताभ बच्चन ने भोपाल में आरक्षण का काम पूरा होते-होते, अपनी निर्माण संस्था एबी कॉर्प की नयी फिल्म बुड्ढा होगा तेरा बाप के लिए इकट्ठी तारीखें दे दी थीं। यह फिल्म उन्होंने तेलुगु के सुपरहिट डायरेक्टर चवालीस वर्षीय पूरी जगन्नाथ को लेकर शुरू की। पुरी जगन्नाथ दक्षिण के सिनेमा में लगभग एक दशक पहले की आमद हैं जिन्होंने लगभग पन्द्रह फिल्मों का निर्देशन किया है और बहुतेरी फिल्में सुपरहिट रही हैं। उन्हीं की निर्देशित एक फिल्म पोक्करी को प्रभु देवा ने हिन्दी में वाण्टेड नाम से बनाया जिसके हीरो सलमान खान थे। दर्शक जानते हैं कि वाण्टेड को भी हिन्दी में खासी सफलता मिली थी।

बहरहाल लम्बे समय से सुपरहिट सफलता के लिए प्रतीक्षारत दोनों बच्चन नायकों में से एक छोटे, अभिषेक बुड्ढा होगा तेरा बाप के निर्माता बने और नायक बनकर आये अमिताभ बच्चन। इस फिल्म में रवीना टण्डन, हेमा मालिनी, मिनीषा लाम्बा, सोनू सूद आदि ने काम किया है। यह फिल्म अमिताभ बच्चन की पिछले एक दशक में निभायी जा रही लगभग सभी भूमिकाओं से अलग एक भूमिका में उनको पेश कर रही है। एक तरह से प्रमाणित यही करना चाहा गया है कि अब आप चालीस-पैंतालीस साल की चुस्ती-फुर्ती में महानायक को देखिए। बच्चन साहब इसमें अपने उसी रंग में हैं जो लगभग उनका दिवंगत रमेश बहल की फिल्म पुकार या मनमोहन देसाई की फिल्म मर्द में रहा है।

इस फिल्म का नाम, बुड्ढा होगा तेरा बाप, अपने आपमें बड़ा भदेस है। आमतौर पर फिल्मों के नाम इस तरह के होते नहीं मगर नाम के संकट से जूझ रहा हिन्दी फिल्म जगत अंग्रेजी नामों से हिन्दी फिल्में बनाता हुआ अब इस तरह के नामों की शरण में है। विडम्बना यह है कि ऐसा नाम ऐसे कलाकार की फिल्म का है, जो भाषा, हिन्दी, साहित्य, शिष्टाचार और विनम्रता के संस्कारों के लिए फिक्रमन्द रहते हैं। बहरहाल, यह फिल्म है, इसका जवाब हो सकता है। अमिताभ बच्चन ने इस फिल्म को अत्यन्त कम समय में पूरा कराने के साथ ही इसके प्रदर्शन की तारीख भी जुलाई में मुकर्रर कर दी है। इधर उनके एक और निर्देशक प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण अगस्त की 12 तारीख को रिलीज होना तय है।

ज्यों-ज्यों आरक्षण का प्रदर्शन नजदीक आ रहा है, त्यों-त्यों बच्चन साहब के किरदार को लेकर जिज्ञासाएँ बढ़ रही हैं, इस बीच इसी हाइप में उन्होंने पहले अपने बैनर की फिल्म रिलीज कर देना सभी दृष्टि से ज्यादा मुनासिब समझा है, जिसमें खासतौर पर व्यावसायिक पक्ष और माहौल में अपनी फिल्म को सुरक्षित निकाल ले जाना निहित है। अगर बुड्ढा होगा तेरा बाप, बड़ी सुपरहिट हो गयी तो उसका सकारात्मक असर आरक्षण पर दिखेगा, नहीं होने पर विपरीत असर भी सम्भावित है। आरक्षण से ज्यादा बुड्ढा होगा तेरा बाप में बच्चन साहब की रुचि शायद बेटे को अब एक निर्माता के रूप में भी स्थापित करने का एक और प्रयास लगता है।

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