चरणों में नेह छुआ
वंदन करूँ जगतपति
आए फिर अबकी बार
मेरे प्रभु गणपति
सकल संसार में प्राणप्रिय
सबके तुम भाग्य विधाता
गुणी तुम अद्भुत विलक्षण
जगत पालक परम ज्ञाता
अस्मिता के तुम ही श्री हो
प्राण बसे तुम्हीं जन-जन के
तुम्हीं से जगत का सर्वमंगल
तुम्हीं स्थपति हो हर मन के
श्रद्धा के मोदक चढ़ा
संवारूँ लूँ अपनी नियति
सब पाप करना क्षमा
मेरे प्रभु गणपति
7 टिप्पणियां:
मैरे ब्लॉग पर आएँ आपका स्वागत है
सतीश चंद
मैरे ब्लॉग पर आएँ आपका स्वागत है
सतीश चंद
धन्यवाद सतीश जी.
धन्यवाद सतीश जी.
सुनील जी आज तो आपकी दो पोस्ट वार्ता पर चर्चा में है।
बेहतरीन लेखन के लिए बधाई और शुभकामनाएं
संडे का फ़ंडा-गोल गोल अंडा
ब्लॉग4वार्ता पर पधारें-स्वागत है।
ज़रूर आऊंगा सतीश जी.
ललित जी, ऐसे ही आत्मीयता देते रहिएगा, आभारी हूँ.
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