तुम खुली आँखों की सचाई
बंद आँखों का एहसास
दोनों ही ओर
बड़ी पास....
खुली आँखों से
तुम्हें देखना मगर
कुछ न कह पाना
बंद आँखों में
तुम्हारा नज़दीक आ जाना
बोलना-बताना
मिलकर गाने का जी करे
ऐसा कोई मीठा
गीत याद दिलाना
पास होने की अपनी नरमाई
सपने और सुवास
दोनों ही
बड़े खास....
10 टिप्पणियां:
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 7- 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
सुंदर निर्मल अभिव्यक्ति.
संगीता जी, प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ.
धन्यवाद अनामिका जी.
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
बहुत खूब ... दोनो का अलग मज़ा है ... आँखें खुली हों या बंद ....
धन्यवाद सदा जी।
शुक्रिया दिगंबर जी।
http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/270.html
yahan bhi apni post dekhen ..
अवश्य देखूँगा संगीता जी.
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