मंगलवार, 7 सितंबर 2010

ज़िंदगी हुई हल करते हुए इस गणित को

जोड़ दो तुम
मेरी खुशी में
अपनी खुशी

घटा लेने दो मुझे
अपने गम में
तुम्हारा गम

क्या कहूँ कैसे
गुणा होगा
हमारे प्यार से
तुम्हारे प्यार का और
जाने कैसे
भाग दिया जायेगा
इस तरफ के अवसाद से
उस तरफ के अवसाद का

ज़िंदगी हुई
हल करते हुए
इस गणित को
स्लेट पर लिखने की
उम्र से
कागज़ पर लिखने की
उम्र तक

7 टिप्‍पणियां:

ASHOK BAJAJ ने कहा…

लाजवाब .


पोला की बधाई भी स्वीकार करें .

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सुन्दर!


कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

सुनील मिश्र ने कहा…

धन्यवाद अशोक जी आपका.

सुनील मिश्र ने कहा…

आपका आभारी हूँ उड़नतश्तरी जी. हमें मित्रों को प्रोत्साहित करने में भला क्यों हिचकिचाहट होगी? आश्वस्त रहिये.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


बेहतरीन लेखन के बधाई

356 दिन
ब्लाग4वार्ता पर-पधारें

सुनील मिश्र ने कहा…

आभार ललित जी।

विवेक रस्तोगी ने कहा…

बिल्कुल नये आवरण की कविता, जिंदगी के गणित को कलम से लिख दिया वाह !! मजा आ गया जिंदगी का ये रुप देखकर भी